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Olympics 2020 बेटियों पर नाज है: पैसे की कमी, चोट और परिवार से दूरी, फिर भी सुशीला चानू ने नहीं हारी हिम्मत, बन गईं हॉकी स्टार

aajtak.in | नई दिल्ली | 04 अगस्त 2021, 5:13 PM IST

India Women Hockey Team Midfielder Sushila Chanu: ओलंपिक 2020 में आज भारत और अर्जेंटीना के बीच महिला हॉकी का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया, जिसमें भारतीय महिला हॉकी टीम इतिहास रचने से चूक गई. इस मुकाबले में टीम इंडिया ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया लेकिन 2-1 से हार का सामना करना पड़ा.

Sushila Chanu, Indian Women Hocky Team Midfielder Sushila Chanu, Indian Women Hocky Team Midfielder

Olympics 2020, India vs Argentina Women Hockey Semifinals: पैसे की कमी, घुटने की चोट और परिवार से दूरी भी सुशीला चानू (Indian Hockey Midfielder Sushila Chanu) के हौसले को डिगा नहीं सके और आज वो भारतीय टीम की रीढ़ के रूप में टीम में मौजूद हैं. मणिपुर की राजधानी इम्फाल की रहने वाली सुशीला चानू का टीम इंडिया तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा है. पैसे की कमी के कारण वो दो साल तक घर से दूर रही थीं. 

सुशीला टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं और रियो ओलंपिक में उन्होंने टीम की अगुवाई की थी. सुशीला टीम इंडिया के लिए 150 से ज्यादा मैच खेल चुकी हैं. इसमें एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स शामिल हैं. टोक्यो ओलंपिक में हॉकी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को मात देने में सुशीला की अहम भूमिका रही.

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देखें खिलाड़ियों के घर का माहौल

Posted by :- Ajit Tiwari
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Posted by :- Ajit Tiwari
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Posted by :- Ajit Tiwari

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चोट के कारण मिस हुए कई टूर्नामेंट

Posted by :- Ajit Tiwari

29 वर्षीय सुशीला चानू को 2018 में घुटने में चोट लगी जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड कप, एशियन गेम्स, चैंपियन्स टॉफ्री से बाहर होना पड़ा. हालांकि इसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की और ऑस्ट्रेलिया के सफर को ओलंपिक में रोकने में अहम भूमिका निभाई.

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12:29 PM (4 वर्ष पहले)

खेल को लेकर था जुनून

Posted by :- Ajit Tiwari

सुशीला के कोच परमजीत सिंह के मुताबिक सुशीला में खेल को लेकर काफी जुनून था, वो समय से पहले ग्राउंड पर पहुंच जाती थीं. हॉकी को लेकर वो बेहद फोकस्ड थीं. यही कारण है कि आज वो मेहनत व निरंतरता उन्हें कामयाबी के रास्ते पर ले आई और वो टीम इंडिया की मजबूत कड़ी बन गईं.

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मां काम करके चलाती थीं घर

Posted by :- Ajit Tiwari

साल 2006 में सुशीला चानू को महिला हॉकी अकादमी में दाखिला मिला. अगले 6 साल तक वो यहां रहीं और अपने खेल को निखारा. मणिपुर में उनके पिता के पास कोई काम नहीं था और घर का खर्च उनकी मां काम करके चलाती थीं. घर में पैसों की आर्थिक तंगी ऐसी थी कि सुशीला चानू दो साल तक पैसे न होने की वजह से घर नहीं गईं. 

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