India women hockey team Defender Nikki Pradhan India Women Hockey Team Defender Nikki Pradhan success story: करियर के शुरुआती दिनों में निक्की के पास हॉकी की स्टिक नहीं हुआ करती थी, लेकिन खेल के प्रति जज्बा ऐसा था कि वो बांस के डंडे से ही ट्रेनिंग करती थीं. टीम इंडिया तक के उनके सफर में चोट ने काफी परेशान किया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मुश्किलों का डटकर सामना किया.
निक्की प्रधान को साल 2015 में टीम इंडिया में शामिल होने का मौका मिला. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार बेहतर खेल से टीम में अपनी जगह पक्की कर ली. वो रियो ओलंपिक में भी टीम का हिस्सा रहीं. साथ ही एशिया कप 2017 और 2018 में भी वो टीम के साथ रहीं. इसके अलावा उन्होंने हॉकी वर्ल्ड लीग, महिला वर्ल्ड कप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया.
निक्की प्रधान की मां ने आगे बताया कि निक्की को बचपन से ही हॉकी खिलाड़ी बनाने में मेहनत की गई. जब बेटी एक बार राजधानी रांची में हॉकी खेल रही थी तो उन्हें स्टेडियम में घुसने भी नहीं दिया गया था. पुलिस वालों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया था. आज उनकी बेटी ओलंपिक खेल रही है. इससे बड़ी खुशी और कुछ नहीं है. मां को उम्मीद है कि टीम टोक्यो से गोल्ड मेडल लेकर आएगी.
महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी निक्की को तराशने में उनके कोच दशरथ महतो को काफी संघर्ष करना पड़ा. नक्सल प्रभावित पिछड़े इलाके खूंटी में जब कोच ने हॉकी का प्रशिक्षण देना शुरू किया तो लोग हंसते थे, लेकिन क्षेत्र से कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय खिलाड़ी निकले जो आज विभिन्न नौकरियों में हैं. उनका कहना है सरकार का अगर सहयोग मिले तो क्षेत्र के बच्चे खेल में और आगे बढ़ सकते हैं .
निक्की की मां ने कहा कि मेरी बेटी खेलते समय जब मैदान पर गिर जाती तो काफी तकलीफ होती है, लेकिन क्या करें खेल में गिरना-संभलना तो लगा रहता है, लेकिन मेरी बेटी निक्की गोल्ड लेकर जरूर आएगी. इधर, निक्की प्रधान के कोच दशरथ महतो ने भी पूरी टीम को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थितियों में निक्की को ट्रेनिंग दी गई. निक्की शुरुआत से ही मेहनती थी, जिसका नतीजा है कि आज निक्की को पूरा देश जानता है और वह देश के लिए गोल्ड लेकर तो जरूर आएगी.