कोलकाता में अपना 199 वां टेस्ट मैच खेल रहे सचिन तेंदुलकर के प्रशंसकों के लिए ये पांच दिन भाव विभोर कर देने वाले हैं. इस टेस्ट मैच के बाद वह मुंबई में अपने करियर का आखिरी टेस्ट खेलेंगे. माहौल में रोमांच है, उत्साह है और एक संजीदगी है क्योंकि इसके बाद लोग दुनिया के इस सबसे बड़े क्रिकेटर को मैदान में खेलते कभी नहीं देखेंगे.
सचिन उन चुनींदा खिलाड़ियों में हैं जिन्हें दुनिया सदियों तक भूला नहीं पाएगी और जो खेल के उस मुकाम पर पहुंचे जहां विरले ही कोई पहुंच पाता है. रिकॉर्डों का अंबार और आंकड़े तो सिर्फ यह साबित करते हैं कि वे महान खिलाड़ी रहे हैं लेकिन करोड़ों लोगों की भावनाओं को बताने का ये जरिया नहीं हो सकते. दुनिया के करोड़ों लोगों के दिलों में उनके लिए जो जगह है उसे बताने का कोई जरिया नहीं हो सकता है.
सचिन ने करोड़ों भारतीयों को ही नहीं दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को अपने शानदार खेल से रोमांचित किया, उन्हें खुशी दी और उनका मनोरंजन किया. उनके खेल में ऐसा जादू रहा है कि यकीन नहीं होता कि कोई इंसान ऐसा खेल दिखा सकता है. उनमें ऐसी जन्मजात प्रतिभा रही है जो उन्हें सबसे ऊपर उठाती है और भगवान के दर्जे तक ले जाती है. उनका खेल किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है.
और इसलिए उन्हें क्रिकेट के भगवान का दर्जा देने में कोई हिचक नहीं होती. सचिन ने अपने वक्त के बड़े-बड़े गेंदबाजों का जबर्दस्त मुकाबला किया और जब वह रौ में होते थे तो वे गेंदबाज बहुत मामूली दिखने लगते थे. लगता था कि नौसिखिये गेंदबाज किसी मंजे हुए बल्लेबाज के सामने गेंदें फेंक रहे थे. बड़े-बड़े गेंदबाजों की गेंदों पर चौके-छक्कों की बरसात कर देना सचिन के खेल का हिस्सा रहा. अब सचिन उम्र के ढलान पर हैं और क्रिकेट से विदा लेने का उनका फैसला सही है. इसमें कोई राय नहीं है कि किसी भी बड़े खिलाड़ी को खुद विदा हो जाना चाहिए और सचिन ने ऐसा ही फैसला किया. आखिर देवता भी तो अपनी दुनिया में वापस चले जाते हैं लेकिन दुनिया के बेमिसाल खिलाड़ियों में शामिल सचिन को हम अपने जीवन काल में कैसे भूला पाएंगे भला!
(मधुरेंद्र प्रसाद सिन्हा वरिष्ठ पत्रकार और हमारे संपादकीय सलाहकार हैं)