पिछले महीने की ही तो बात है जब टीम इंडिया चैंपियन बनी. पर इंग्लैंड से वेस्टइंडीज क्या पहुंचे, स्थिति पूरी तरह से बदल गई. वेस्टइंडीज में खेले जा रहे त्रिकोणीय सीरीज के अपने पहले मुकाबले में भारत को मेजबान टीम के हाथों हार का सामना करना पड़ा. पर दूसरे मुकाबले में श्रीलंका के खिलाफ मिली करारी शिकस्त के बाद तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह वही चैंपियन टीम है?
मंगलवार को खेले गए मैच में श्रीलंका ने भारत को 161 रनों से हरा दिया. श्रीलंका ने भारत के सामने जीत के लिए 349 रन का लक्ष्य रखा. इस लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की पूरी टीम 44.5 ओवरों में सिर्फ 187 रन पर सिमट गई.
हर क्रिकेट प्रशंसक के मन में एक ही सवाल है कि इतनी जल्दी ऐसा क्या हो गया जो टीम के प्रदर्शन में ऐसी गिरावट देखने को मिल रही है. टीम इंडिया की इस शर्मनाक हार के कई वजह हैं. आइये जानें इनके कारण...
फेल रहा टॉप ऑर्डर, खुली मिडिल ऑर्डर की पोल
जब श्रीलंका ने भारत के सामने 349 रनों का असंभव जैसा लक्ष्य रखा तब हर किसी की निगाहें टीम के टॉप आर्डर पर थी. पर महज 12 रन के स्कोर पर रोहित शर्मा का विकेट गिरने के साथ ही भारत की मुश्किलों की शुरुआत हो गई. इसके शिखर धवन (24) और मुरली विजय (30) भी बल्ले से खास कमाल नहीं कर सके. स्थिति इतनी खराब थी कि भारत ने मात्र 65 रन के स्कोर पर 4 विकेट खो दिए. खराब शुरुआत के बाद दारोमदार मिडिल ऑर्डर पर था, पर कप्तान कोहली तो मात्र 2 रन के निजी स्कोर पर पवेलियन लौट गए. रैना और जडेजा ने पारी संभालने की कोशिश तो की, पर उनका यह प्रयास टीम इंडिया को सम्मानजनक स्थिति में भी नहीं पहुंचा सका.
ऐसी गेंदबाजी का क्या करोगे?
कप्तान कोहली ने टॉस जीतकर जब श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता दिया तो रणनीति साफ थी. मददगार पिच का फायदा उठाओ और श्रीलंका को शुरुआती झटके दो. पर ऐसा नहीं हुआ. भारतीय गेंदबाज श्रीलंका के सलामी बल्लेबाजों को पवेलियन लौटाने में नाकाम रहे. इस नाकामी के बाद तो मानों विकेट का सूखा सा पड़ गया. श्रीलंका का पहला विकेट 38.4 ओवर में गिरा. इस वक्त श्रीलंका का स्कोर 213 रन था. पूरी मैच में भारतीय गेंदबाजों ने एक मात्र विकेट ही हासिल किया.
आखिरी ओवरों में जमकर बरसे रन
भारतीय गेंदबाजी की सबसे बड़ी परेशानी रही है डेथ ओवर. अकसर ही हमारे गेंदबाजों की यह कमजोरी टीम पर ही भारी पड़ती है. श्रीलंका के खिलाफ मैच में भी कुछा ऐसा ही हुआ. भारतीय गेंदबाजों ने श्रीलंकाई पारी के आखिरी 16 ओवर में 180 रन लुटाए. आखिरी 10 ओवर में 124 रन और आखिरी 5 ओवर में 66 रन. ये आंकड़ें बताते हैं कि टीम इंडिया की गेंदबाजी डेथ ओवर में किस तरह से बिखर जाती है.
माही नहीं तो मैजिक नहीं
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में मैजिक है. इस टूर्नामेंट में यह बात सही साबित हो रही है. धोनी चोटिल क्या हुए, टीम का प्रदर्शन गिरने लगा. पहले मैच में तो विंडीज के खिलाफ रोमांचक मुकाबला हुआ, पर कप्तान धोनी की कमी मैदान पर जरूर खली. उनकी कमी का असली असर श्रीलंका के खिलाफ मैच में दिखा. कोहली अपने गेंदबाजों और बल्लेबाजों से वैसा प्रदर्शन नहीं करवा सके जो टीम को जीत दिला सके. धोनी से ठीक विपरीत कोहली के फैसले टीम इंडिया पर ही भारी साबित हुए, चाहे वह टॉस जीतकर श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी करने का न्यौता देना हो या फिर गेंदबाजी की रणनीति.