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स्वर्ण पदक नहीं जीत सका था इसलिये मां निराश थी: नारंग

लंदन ओलंपिक खेलों में देश को निशानेबाजी में पहला पदक दिलाने वाले गगन नारंग के कांस्य पदक का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है लेकिन इस शीर्ष निशानेबाज ने कहा कि उनकी मां इस बात से निराश थीं कि यह स्वर्ण पदक नहीं था.

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गगन नारंग
गगन नारंग

लंदन ओलंपिक खेलों में देश को निशानेबाजी में पहला पदक दिलाने वाले गगन नारंग के कांस्य पदक का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है लेकिन इस शीर्ष निशानेबाज ने कहा कि उनकी मां इस बात से निराश थीं कि यह स्वर्ण पदक नहीं था.

स्टार राइफल निशानेबाज का लंदन से लौटने पर भव्य स्वागत किया गया और उन्होंने यहां एक सम्मान समारोह में कहा, ‘वह चाहती थीं कि मैं स्वर्ण पदक जीतूं. मैं भविष्य में उनकी इस इच्छा को पूरा करने की कोशिश करूंगा.’

नारंग को ‘गन फोर ग्लोरी’ अकादमी में महाराष्ट्र के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री पदमाकर वाल्वी ने सम्मानित किया. इस अवसर पर ओलंपियन राही सरनोबत और नारंग के माता पिता को भी सम्मानित किया गया.

पुरुषों की 10 मी एयर राइफल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाले नांरग चाहते हैं महिला मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम स्वर्ण पदक जीतें.

उन्होंने कहा, ‘मैं लंदन में उनसे मिला था और वह काफी आत्मविश्वास से भरी थीं. मुझे उम्मीद है कि वह हमारे लिये स्वर्ण पदक जीतेगी.’

राष्ट्रमंडल खेल 2010 में कई स्वर्ण जीतने वाले के स्टार निशानेबाज ने कहा कि वह अपनी स्पर्धा से पहले थोड़े चिंतित थे और उन्होंने खुद को नियंत्रित करने के लिये अपने कोच स्टेनिसलास लैपिडस के आई पैड का सहारा लिया.

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नारंग ने कहा, ‘मैं थोड़ा नर्वस था. इसलिये मैंने आधा घंटा देर से स्पर्धा शुरू की. मेरे कोच ने मुझे अपने आईपैड में एक गेम खिलाया.

नारंग ने कहा, ‘फाइनल्स के लिये क्वालीफाई करने के बाद मैं सचमुच काफी खुश था. मेरे कंधों से काफी भारी बोझ उतर गया था. फाइनल्स में मैं खुद पर काबू रख सका और मैंने अंतिम शाट 10.7 का लगाया जब मुझे कांस्य पदक जीतने के लिये 10.2 के शॉट की जरूरत थी.’

मौजूदा ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए नारंग ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि देश खेलों की महाशक्ति नहीं बन सकता.

उन्होंने कहा, ‘यह लगातार होने वाली प्रक्रिया है. हमने लय पकड़ ली है और हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इसकी शुरुआत राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के एथेंस में रजत पदक से हुई जिसके बाद बीजिंग में हमने बिंद्रा के स्वर्ण के अलावा दो कांस्य जीते. यह उत्साह बढ़ाने वाला है.’

उन्होंने कहा कि खेलों को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. उन्होंने अन्य राज्यों से भी महाराष्ट्र और हरियाणा की राह पर चलकर खेलों को बढ़ावा देने की अपील की.

नारंग ने सम्मान समारोह में कहा, ‘खेल बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं और इसलिए इन्हें उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.’

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खेलों को बढ़ावा देने के लिये दो राज्यों की जमकर तारीफ करते नारंग ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र दूसरे राज्यों के लिये उदाहरण हैं. उन्हें भी इन राज्यों का अनुसरण करके अपने आधारभूत ढांचे का विकास करना चाहिए. राष्ट्रीय कोच तथा राइफल कोच स्टेनिसलास लैपिडस की प्रशंसा करते हुए नारंग ने कहा कि इन लोगों के सहयोग के बिना उनके लिये पदक जीतना संभव नहीं होता. इस अवसर पर नारंग के माता पिता को भी सम्मानित किया गया.

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