साउथ अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली ने जबरदस्त बैटिंग की. रांची और रायुपर वनडे में किंग कोहली ने शतकीय पारियां खेलीं. फिर वाइजैग वनडे में भी कोहली अर्धशतक जड़ने में कामयाब रहे. कोहली ने इस सीरीज में 151 की औसत से 302 रन बनाए और उन्हें 'प्लेयर ऑफ द सीरीज' चुना गया
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विराट कोहली ने पिछले साल टी20 इंटरनेशनल को अलविदा कह दिया था. फिर उन्होंने इस साल 12 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चौंका दिया था. साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में हार के बाद कुछ फैन्स यह उम्मीद कर रहे थे कि कोहली शायद दोबारा रेड बॉल क्रिकेट में लौटेंगे, लेकिन खुद कोहली ने इन अफवाहों पर विराम लगा दिया था. देखा जाए तो एक ही फॉर्मेट पर फोकस रखना उनके लिए सही फैसला साबित हुआ है और वो फॉर्म में लौट आए हैं.
विराट कोहली ने सीरीज जीत के बाद स्वीकार किया कि वो पिछले 2-3 साल ऐसे नहीं खेल पाए थे. कोहली ने प्रेजेंटेशन सेरेमनी में कहा, 'सच कहूं तो इस सीरीज में जिस तरह मैंने बल्लेबाज़ी की, वह मेरे लिए सबसे संतोषजनक बात है. मुझे नहीं लगता कि पिछले 2-3 साल में मैंने इस तरह खेला. अभी मेरा मन बहुत हल्का और आजाद महसूस कर रहा है. यह आगे बढ़ने के लिए बहुत रोमांचक है.'
स्टैंडर्ड को बरकरार रखना चाहता हूं: कोहली
विराट कोहली कहते हैं, 'मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि अपने ही बनाए हुए स्टैंडर्ड को बरकरार रखूं और उस स्तर पर खेलूं, जहां मैं टीम के लिए प्रभाव छोड़ सकूं. मुझे पता है कि जब मैं मैदान पर इस तरह बल्लेबाजी करता हूं, तो इससे टीम को बहुत बड़ा फायदा मिलता है क्योंकि मैं लंबी पारी खेल सकता हूं और कंडीशन्स के अनुसार खेलने में सक्षम होता हूं. जब आपका आत्मविश्वास अच्छा होता है, तो आपको लगता है कि मैदान पर किसी भी स्थिति को संभालने की क्षमता आपके अंदर है और आप उसे टीम के पक्ष में मोड़ सकते हैं.'
विराट कोहली ने कहा, '15-16 साल तक खेलने पर ऐसे कई दौर आते हैं जब आप अपनी क्षमता पर शक करते हैं, खासकर एक बल्लेबाज़ के रूप में, जहां एक गलती आपको आउट कर सकती है. कई बार ऐसा लगता है कि शायद मैं उतना अच्छा नहीं हूं, घबराहट हावी हो जाती है. एक लंबी पारी खेलने के बाद ही आप फिर से उस जोन में आ पाते हैं, जहां आप आत्मविश्वास के साथ खेल पाते हैं. ये पूरा सफर सीखने का है, यह खुद को बेहतर समझने और एक इंसान के तौर पर आगे बढ़ने को लेकर है. एक बल्लेबाज के रूप में मैंने अपने बारे में बहुत कुछ सीखा है. छोटी-छोटी बातें आपको एक बेहतर इंसान बनाती हैं और आपके स्वभाव को संतुलित और मजबूत करती हैं.'
कोहली ने खुद पर संदेह क्यों किया?
विराट कोहली ने बताया, 'मैंने कई ऐसे दौर देखे हैं जब मैंने खुद पर संदेह किया है और मैंने इसे कभी छिपाया नहीं. यह किसी भी इंसान की लंबी यात्रा का एक सामान्य हिस्सा है. लेकिन मुझे खुशी है कि आज भी मैं टीम के लिए योगदान दे पा रहा हूं. जब मैं खुलकर खेलता हूं, तो मुझे पता होता है कि मैं छक्के लगा सकता हू. इसलिए, मैं बस थोड़ा लुत्फ लेना चाहता था क्योंकि मैं अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था, बस थोड़ा और जोखिम लिया. अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाया, ताकि पता चल सके कि मैं कहां तक जा सकता हूं.'
विराट कोहली ने कहा कि इस सीरीज में उनकी सबसे पसंदीदा और अहम इनिंग्स रांची वाली थी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद उन्होंने कोई मैच नहीं खेला था. कोहली कहते हैं, 'रांची में जैसे ही मैदान पर उतरा, शुरुआत से ही गेंद अच्छी तरह बैट पर आ रही थी. उस दिन ऊर्जा बहुत अच्छी थी, जिससे जोखिम लेने में आत्मविश्वास महसूस हुआ.जब ऐसे शॉट्स सफल होते हैं, तो बल्लेबाज एक खास जोन में चला जाता है, जिसकी हर खिलाड़ी को चाहत होती है.'
विराट कोहली का मानना है कि जब सीरीज 1-1 बराबर हो और आख़िरी मैच निर्णायक हो, तो उनके अंदर एक अलग ही उत्साह आ जाता है. कोहली ने अंत में कहा, 'मैं और रोहित मैच से पहले सोच रहे थे कि हमें आज कुछ खास करना है, खेल पर असर डालना है, टीम के लिए बड़ा योगदान देना है. यही वजह है कि हम दोनों इतने वर्षों तक खेल पाए. हम हमेशा टीम की जरूरत पर ध्यान देते हैं और अपनी स्किल का उपयोग परिस्थिति के अनुसार करते हैं.'