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SC ने हितों के टकराव पर श्रीनिवासन से स्पष्टीकरण मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाजी मामले पर सुनवाई करते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के निर्वासित चल रहे अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन से हितों के टकराव की स्थिति में होने पर स्पष्टीकरण मांगा.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के छठे संस्करण में हुए कथित स्पॉट फिक्सिंग एवं सट्टेबाजी मामले पर सुनवाई करते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के निर्वासित चल रहे अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन से हितों के टकराव की स्थिति में होने पर स्पष्टीकरण मांगा. कोर्ट ने श्रीनिवासन से उनकी कंपनी इंडिया सीमेंट्स के स्वामित्व वाली आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल पद पर नियुक्त और सट्टेबाजी के आरोपी उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन के संदर्भ में यह स्पष्टीकरण मांगा है.

इसके अलावा श्रीनिवासन बीसीसीआई के अध्यक्ष होने के साथ-साथ आईपीएल के प्रशासकीय परिषद के सदस्य भी हैं और साथ ही इंडिया सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक और उपाध्यक्ष भी हैं.

कोर्ट के जिरह में क्या हुआ?
जस्टिस टी. एस. ठाकुर और जस्टिस फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने श्रीनिवासन के वकील कपिल सिब्बल से कहा, ‘या तो यहां हितों के टकराव का मामला बनता है या फिर किसी तरह के हितों का टकराव है ही नहीं. तीसरी किसी स्थिति की गुंजाइश नहीं है. स्पष्ट करिए कि यहां हितों के टकराव का मामला नहीं है.’

सिब्बल ने इससे पहले कोर्ट से कहा था कि हितों के टकराव का सवाल ही नहीं उठता और इससे पहले इसी मामले में बंबई हाई कोर्ट, बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय न्यायिक समिति और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच के लिए गठित मुद्गल समिति की रिपोर्ट में भी हितों के टकराव की बात नहीं की गई.

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इस पर जस्टिस कलिफुल्ला ने कहा, ‘इसकी जांच हम कर लेंगे.’

जस्टिस ठाकुर ने कहा, ‘हितों का टकराव निश्चित तौर पर ऐसा मामला है जिसकी जांच हम करेंगे. हम सच्चाई से पर्दा हटाएंगे. और हम ऐसा जरूर करेंगे. यहां हितों के टकराव का मामला है या नहीं इस पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हाई कोर्ट ने इस मामले को देखा या नहीं देखा.’ कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह याचिकाकर्ता बिहार क्रिकेट संघ द्वारा श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अगले चुनाव में खड़े होने से रोकने और चेन्नई सुपर किंग्स की फ्रेंचाइजी रद्द किए जाने की मांग पर भी विचार करेगी.

कोर्ट ने सिब्बल से पूछा, ‘क्या यह सच है कि बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय न्यायिक जांच समिति ने एक दिन में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी.’ इस न्यायिक समिति में जस्टिस टी. जयराम चौटा और जस्टिस आर. बालासुब्रमण्यम शामिल थे. कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, ‘जी नहीं, दो दिनों में.’ सिब्बल ने यह भी बताया कि जिस दिन शिकायत मिली उसी दिन 28 मई को इस न्यायिक समिति का गठन किया गया था. सिब्बल ने कहा कि न्यायिक समिति के गठन में श्रीनिवासन की कोई भूमिका नहीं थी. इस पर कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि जिस दिन न्यायिक समिति का गठन हुआ श्रीनिवासन बीसीसीआई के अध्यक्ष थे. सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि न्यायिक समिति के गठन के लिए दोनों जजों की सिफारिश बीसीसीआई के कानूनी सलाहकारों ने की थी. सिब्बल ने बताया कि अरुण जेटली के सुझाव पर दोनों जजों की नियुक्ति की गई थी. कोर्ट ने हालांकि सिब्बल से मामले में जेटली का जिक्र न करने के लिए कहा इस पर सिब्बल ने अपने बचाव में कहा कि वह सिर्फ तथ्यों के आधार पर ही उनका नाम ले रहे हैं.

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CSK ने कभी कोई हर्जाना नहीं लिया
इससे पहले वकील नलिनी चिदंबरम ने कोर्ट को बताया कि आईपीएल की किसी फ्रेंचाइजी को मैच रद्द होने पर हर्जाना देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स को हर्जाने के तौर पर 10 करोड़ रुपये दिए गए. इस पर सिब्बल ने कहा कि सीएसके ने कभी कोई हर्जाना नहीं लिया. फिर चिदंबरम ने कहा, ‘हर्जाना लिया गया या नहीं बात इसकी नहीं है, वास्तविकता यह है कि हर्जाने का रुपया जारी किया गया.’ चिदंबरम ने कोर्ट को बताया कि इंडिया सीमेंट्स ने जब चेन्नई की फ्रेंचाइजी अधिकार खरीदे तब बीसीसीआई के नियम (6.2.4) के तहत बीसीसीआई के अधिकारियों को बीसीसीआई द्वारा आयोजित किसी भी आयोजन में वाणिज्यिक भागीदारी रखने से प्रतिबंधित किया गया था. चिदंबरम ने बताया कि इसके बाद सितंबर 2008 को हुई बीसीसीआई की वार्षिक बैठक में आईपीएल को इस नियम से बाहर कर दिया गया.

मामले पर कोर्ट की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी.

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