
टीम इंडिया ने 1983 का वर्ल्डकप जब जीता, तो उसमें सबसे स्पेशल बात यह थी कि हर मैच में जीत के साथ टीम को एक नया हीरो मिल रहा था. जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में जब कपिल देव ने ऐतिहासिक पारी खेली उसके बाद भारतीय टीम का जोश हाई था. लेकिन इसके बाद अगला ही मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था.
ऑस्ट्रेलिया इससे पहले 1975 के वर्ल्डकप में रनर-अप रह चुकी थी. ऐसे में उस टीम को हराना इतना आसान नहीं था. ऑस्ट्रेलिया के सामने एक मौका ये भी था कि अगर वह टीम इंडिया को मात देती तो सीधे सेमीफाइनल में पहुंच जाती. लेकिन उस दिन की कहानी कुछ और ही साबित हुई.
इस मैच में भारत की जीत हुई और हीरो निकले ऑल-राउंडर रोजर बिन्नी. टीम में शामिल एकमात्र एंग्लो इंडियन खिलाड़ी, जो बॉलिंग और बैटिंग दोनों से कमाल कर सकता था. इस मैच में भी भारत की शुरुआत बेहतरीन नहीं थी, सुनील गावस्कर का वर्ल्डकप लगातार नीरस ही चल रहा था. यहां पर भी ऐसा ही हुआ, सुनील गावस्कर के अलावा अन्य खिलाड़ी भी कोई बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाए.
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भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन यशपाल शर्मा ने ही बनाए, वो भी सिर्फ 40 रन. ऐन में रोजर बिन्नी ने भी 21 रनों का योगदान दिया. सभी खिलाड़ियों के योगदान से टीम इंडिया 247 रन बना पाई. लेकिन असली खेल अब शुरू हुआ, जब टीम इंडिया ने बॉलिंग शुरू की.

भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को शुरुआत से ही झटके देने शुरू कर दिए, पहला विकेट ट्रेवर चैपल (इयान चैपल के भाई) के रूप में गिरा. ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट गिरने के बाद रोजर बिन्नी ने अपना जलवा बिखेरा और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी.
रोजर बिन्नी ने इस मैच में कुल चार विकेट लिए, 8 ओवर का स्पेल और 29 रन देकर चार विकेट. रोजर बिन्नी के इस कमाल ने पूरा मैच ही बदल दिया. उन्होंने ग्राहम वूड, ग्राहम येलॉप, कप्तान डेविड हूक्स और अंत में टॉम होगान को आउट किया.
आज के वक्त में भारतीय टीम जिस तेज गेंदबाजी वाले ऑलराउंडर की तलाश में हैं, तब रोजर बिन्नी इन चीजों में पूरी तरह निपुण थे. मिडिल में आकर तेज बल्लेबाजी करनी हो या फिर कभी ओपनिंग करने जाना हो. और फिर जब बॉल संभालनी हो तो स्विंग से ऐसा कमाल करना कि सामने वाली टीम सकते में आ जाए.
रॉजर बिन्नी वर्ल्डकप में टीम इंडिया के सबसे बड़े स्टार में से एक थे. पूरे टूर्नामेंट में रोजर बिन्नी ने 18 विकेट लिए थे. वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर थे, उनके बाद भारत के मदनलाल (17 विकेट) का ही नाम था.