Rishabh Pant: इंडियन प्रीमियर लीग की भले ही कितनी भी आलोचना की जाती हो, लेकिन इस मंच ने देश के युवा खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा मौका तैयार किया है. वो चाहे किसी गरीब घर या छोटे शहर से आने वाले लड़के को अचानक बड़ा मंच मिल जाना हो या फिर किसी अच्छे खिलाड़ी को बड़े प्रेशर में तपाकर बेहतरीन खिलाड़ी बनाना हो.
इस बार भी आईपीएल ने एक बड़ा काम किया, टीम इंडिया के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज़ ऋषभ पंत के अंदर छिपे एक लीडर को सभी के सामने लाकर. आईपीएल 2021 की शुरुआत से पहले जब श्रेयस अय्यर को चोट लगी, तब दिल्ली कैपिटल्स ने ऋषभ पंत को कप्तान बना दिया. आईपीएल में ब्रेक हुआ, बाद में श्रेयस अय्यर भी लौट आए लेकिन दिल्ली कैपिटल्स ने ऋषभ पर ही भरोसा जताया.
24 साल के ऋषभ पंत दुनिया की सबसे बड़ी टी-20 लीग में एक ऐसी टीम की कप्तानी कर रहे थे, जो पिछले 13 साल से कोई ट्रॉफी नहीं जीत पाई थी. ऐसे में उनके सामने पहले से ही काफी चुनौतियां थीं, इसके बावजूद दिल्ली कैपिटल्स की टीम क्वालिफायर-1 तक पहुंच पाई. इतना ही नहीं दिल्ली कैपिटल्स ने प्वाइंट टेबल पर टॉप भी किया.
दिल्ली कैपिटल्स के कोच रिकी पोटिंग अपने वक्त या क्रिकेट इतिहास के सबसे बेहतरीन कप्तानों में से एक रहे हैं, ऐसे में उनकी कोचिंग में ऋषभ पंत का कप्तानी के गुर सिखना सुखद ही रहा. पूरे आईपीएल के दौरान कई ऐसे मौके आए जहां पर ऋषभ ने सही वक्त पर रिव्यू लिया, किसी बॉलर को ऐन मौके पर चेंज किया, बैटिंग ऑर्डर में बदलाव किया, कई बार फैसले सही साबित हुए.
क्लिक करें: IPL 2021: ‘अब कुछ नहीं बदल सकते’, दिल्ली की हार के बाद भावुक हुए पंत-पृथ्वी शॉ
लेकिन कई मौकों पर ऋषभ पंत के फैसलों पर सवाल भी खड़े हुए, क्योंकि जिस तरह से बैटिंग ऑर्डर बदला जा रहा था उसने दिल्ली को मुश्किल जगहों पर भी डाला. चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ क्वालिफायर में टॉम कुरेन से आखिरी ओवर में बॉलिंग करवाना, कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ आखिरी ओवर रविचंद्रन अश्विन से डलवाना.
ऐसे तमाम फैसले विवादित रहे, लेकिन यही आईपीएल की खासियत है जहां इतने बड़े प्रेशर के बीच 24 साल के एक युवा कप्तान को इन सभी मुश्किलों से होकर गुज़रना पड़ रहा है. ऋषभ पंत के साथ ये सब तब घटा है, जब पिछले एक साल में वह भारतीय क्रिकेट में बहुत बड़ा नाम बन गए हैं. ऑस्ट्रेलिया में जिताई गई सीरीज़, इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में शानदार बैटिंग ने ऋषभ पंत को घर-घर का स्टार बना दिया.
यही वजह थी कि पंत में लोगों को भविष्य का सबसे बड़ा स्टार दिखने लगा. लेकिन पंत के लिए ये सब आसान भी नहीं रहा, जब ऋषभ पंत की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री हो रही थी तब उनके ऊपर गुरु महेंद्र सिंह धोनी का साया था, हर कोई पंत की तुलना धोनी से करने लगा था. कभी कोई कैच छूट जाता या फिर कोई स्टम्पिंग मिस हो जाती तो ग्राउंड में धोनी-धोनी की आवाज़ सुनाई देती थी. तब मैच की परिस्थिति से ज्यादा प्रेशर आपके दिमाग में होता है, जिससे आप बाहर निकलने की कोशिश करते हो. ऐसे वक्त को ऋषभ पंत पार करके आए हैं और अब फैंस के चहेते बन गए हैं.
ऋषभ पंत का कम उम्र में कप्तानी में सफल होना खास इसलिए भी है क्योंकि अब विराट कोहली के बाद के वक्त को लेकर सोचा जा रहा है. ऐसे में भविष्य का कप्तान तैयार करने के लिए बीसीसीआई की नज़र युवा खिलाड़ियों पर ही है, ताकि लंबे वक्त तक उनका साथ लिया जा सके. विराट कोहली के तुरंत बाद भले ही रोहित शर्मा का नंबर आए, लेकिन केएल राहुल और ऋषभ पंत ऐसे खिलाड़ी देख रहे हैं जो भविष्य में टीम इंडिया की कमान संभाल सकते हैं.
ऐसे में 24 साल के ऋषभ पंत जो मैच से पहले अंपायर को अपनी बचकानी हरकत से परेशान करते दिख जाते हैं, विकेट के पीछे स्पाइडरमैन गाना पसंद करते हैं और रवींद्र जडेजा को जडेंद्र भी कह देते हैं, उन्होंने कप्तानी की पहली परीक्षा में जो संकेत दिए हैं, वो भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए बेहतर ही हैं.