दक्षिण अफ्रीका की जर्सी में जब 6 फीट 8 इंच (2.06 मीटर) लंबा मार्को जानसेन दौड़ता हुआ गेंद लेकर आता है, तो दृश्य ही अलग होता है. और अब तो यह सिर्फ दृश्य नहीं, एक खतरा बन चुका है. कभी नए बॉल का साधारण विकल्प समझा जाने वाला यह लेफ्ट-आर्मर आज दुनिया के सबसे कीमती फास्ट-बॉलिंग ऑलराउंडर्स में गिना जा रहा है. ऐसे दौर में, जब बल्ले और गेंद दोनों से मैच पलट देने वाले खिलाड़ी बेहद कम हैं, जानसेन का तेज और धमाकेदार उभार दक्षिण अफ्रीका के लिए सचमुच सोने पर सुहागा है.
रविवार रात रांची वनडे में जानसेन ने 39 गेंदों में 70 रनों की तूफानी पारी खेली, जिसमें 8 चौके और 3 छक्के शामिल थे. दक्षिण अफ्रीका 130/5 पर फंसी थी, तब जानसेन ने मैथ्यू ब्रीट्जके के साथ मिलकर 97 रनों की साझेदारी बनाई और टीम को जीत की दिशा में वापस लाया. भले ही टीम 332 रनों पर आउट होकर 17 रनों से हार गई, जानसेन की इस पारी ने साबित किया कि वह सीमित-ओवर्स में भी असली 'गेम-चेंजर' है.
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25 साल के जानसेन की सबसे बड़ी ताकत उनकी गेंदबाजी है. लंबी गेंद से अच्छा बाउंस, दाएं हाथ के बल्लेबाजों के लिए खतरनाक एंगल और धीमी पिच पर भी गेंद को मूव कराने की क्षमता उन्हें कई बार मैच बदलने वाला गेंदबाज बना चुकी है. अब उनकी लेंथ बेहतर और कंट्रोल मजबूत हो गया है,और वह दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी में लीडरशिप रोल निभा रहे हैं.
जानसेन अब बल्ले से भी मचा रहे धूम
लेकिन जानसेन की कीमत सिर्फ गेंद से नहीं, बल्कि बल्ले से हुई जबरदस्त तरक्की से कई गुना बढ़ी है. पहले जो कुछ ओवर टिक जाए, वही काफी माना जाता था. अब वह पूरी रणनीति के साथ आते हैं, टीम को मुश्किल से निकालते हैं और स्कोर को लड़ाई लायक से मैच-विनिंग तक पहुंचा देते हैं.
उनकी बल्लेबाजी का सबसे दमदार सबूत नवंबर 2025 में भारत के खिलाफ गुवाहाटी टेस्ट में दिखा. दक्षिण अफ्रीका 334/7 पर फंसा हुआ था. तभी नंबर-9 पर उतरे जानसेन ने थके भारतीय आक्रमण पर ऐसा हमला बोला कि स्टेडियम की हवा बदल गई- 91 गेंदों पर 93 रन, जिसमें 6 चौके और 7 छक्के शामिल थे.
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वह छह दशक में भारत में टेस्ट शतक लगाने वाले पहले विदेशी नंबर-9 बनते-बनते रह गए, लेकिन उनकी पारी ने दक्षिण अफ्रीका को 489 पर पहुंचा दिया- एक ऐसा स्कोर जिसने पूरे मैच का रास्ता मोड़ दिया. दक्षिण अफ्रीका उन्हें जेनुइन लोअर-ऑर्डर ऑलराउंड एसेट मानने लगा है.
आज के ऑलराउंडर्स से उनकी तुलना उन्हें और भी खास बनाती है. कैमरन ग्रीन बैटिंग में बेहतर हैं, पर गेंद से जानसेन की तेजी और उछाल का मुकाबला नहीं कर पाते. हार्दिक पंड्या वर्कलोड के कारण सीमित रहते हैं. बेन स्टोक्स जैसे दिग्गज गेंदबाजी में अब नियमित नहीं. ऐसे में जानसेन का पैकेज- स्पीड, बाउंस, हिटिंग, स्किल... मौजूदा क्रिकेट में बेहद दुर्लभ है.
अब उनकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह सिर्फ एक सीजन नहीं, बल्कि लगातार कई साल बल्ले और गेंद दोनों से टीम के लिए योगदान दें. अगर वह ऐसा कर पाए, तो दक्षिण अफ्रीका को जैक्स कैलिस के बाद फिर से ऐसा ऑलराउंडर मिल सकता है.