क्रिकेट में उम्र अक्सर सबसे बड़ा सवाल बन जाती है. 30 के बाद फिटनेस, 35 के बाद रिफ्लेक्स और 37 के बाद भविष्य... लेकिन विराट कोहली इस तयशुदा स्क्रिप्ट को सालों से अपने बल्ले से काटते आ रहे हैं. 37 साल के किंग का बल्ला आज भी उसी आत्मविश्वास से चलता है, जैसे वह पहली बार नीली जर्सी पहनकर मैदान में उतरे हों.
विजय हजारे ट्रॉफी में दिल्ली की ओर से उतरते ही कोहली ने साफ कर दिया कि घरेलू क्रिकेट उनके लिए ‘कम्फर्ट जोन’ नहीं, बल्कि स्टेटमेंट प्लेटफॉर्म है. शुक्रवार, 26 दिसंबर को बेंगलुरु के BCCI Centre of Excellence, ग्राउंड-1 पर गुजरात के खिलाफ 61 गेंदों में खेली गई उनकी 77 रनों की पारी सिर्फ एक अर्धशतक नहीं थी- यह उस अनुभव का प्रदर्शन थी, जो सालों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सबसे ऊंचे स्तर पर तपकर तैयार हुआ है.
दो दिन पहले ही दिखा था कोहली का विराट अवतार
इससे महज दो दिन पहले, 24 दिसंबर को आंध्र के खिलाफ विराट कोहली ने विजय हजारे ट्रॉफी में वह पारी खेली, जिसने टूर्नामेंट का रंग ही बदल दिया. 101 गेंदों में 131 रन- क्लासिक कवर ड्राइव, सटीक पुल और गैप में जाती गेंदें... यह पारी बताती हैं कि कोहली आज भी पारी गढ़ना जानते हैं, हालात पढ़ते हैं और फिर मैच को अपनी शर्तों पर ले जाते हैं.
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घरेलू गेंदबाजों के लिए यह सिर्फ एक मुकाबला नहीं था, बल्कि एक सबक था कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव कैसे दबाव को मौके में बदल देता है.
छह पारियां, छह जवाब… हर सवाल पर
अगर विराट कोहली की पिछली छह पारियों को एक साथ रखा जाए, तो एक बात बिल्कुल साफ दिखती है- यह किसी संयोग या एक-दो मैच की फॉर्म नहीं है. यह निरंतरता है... और वही विराट कोहली की असली पहचान रही है.
- दिल्ली vs गुजरात – 77 (61), 26 दिसंबर 2025, (बेंगलुरु), लिस्ट A
- दिल्ली vs आंध्र – 131 (101), 24 दिसंबर 2025, (बेंगलुरु), लिस्ट A
- भारत vs दक्षिण अफ्रीका – 65* (विशाखापत्तनम), ODI
- भारत vs दक्षिण अफ्रीका – 102 (रायपुर), ODI
- भारत vs दक्षिण अफ्रीका – 135 (रांची), ODI
- भारत vs ऑस्ट्रेलिया – 74* (सिडनी), ODI
इन पारियों में एक समानता है- कंट्रोल. आक्रामकता है, लेकिन जल्दबाजी नहीं. जोखिम है, लेकिन बेतरतीब नहीं. यही वजह है कि कोहली आज भी रन बनाते हैं और मैच की दिशा मोड़ते हैं.
घरेलू क्रिकेट में उतरना… और स्तर ऊंचा कर देना
विराट कोहली का विजय हजारे ट्रॉफी खेलना सिर्फ दिल्ली टीम के लिए बोनस नहीं है, यह पूरे टूर्नामेंट की क्वालिटी को ऊपर उठाता है. युवा खिलाड़ी उनके साथ ड्रेसिंग रूम साझा करते हैं, मैदान पर उन्हें पढ़ते हैं और सीखते हैं कि बड़े मैच कैसे खेले जाते हैं.
कोहली यहां सिर्फ रन नहीं बना रहे, वह घरेलू क्रिकेट को वही सम्मान दे रहे हैं, जिसकी वह हमेशा वकालत करते आए हैं. यही कारण है कि उनकी हर पारी चयनकर्ताओं, टीम इंडिया और आने वाले बड़े टूर्नामेंट्स के संदर्भ में भी अहम बन जाती है.
उम्र के पार, अनुभव के शिखर पर
कोहली अब सिर्फ आंकड़ों का पीछा नहीं कर रहे. वह उस दौर में खेल रहे हैं, जहां अनुभव, फिटनेस और मानसिक मजबूती एक साथ चरम पर होती है. यही वजह है कि उनकी पारियां आज ज्यादा परिपक्व, ज्यादा असरदार और ज्यादा निर्णायक दिखती हैं.
यह विराट कोहली का वह संस्करण है, जो जानता है- कब रुकना है, कब गियर बदलना है और कब मैच खत्म करना है.
कोहली की कहानी में ‘अंत’ अभी दूर
विजय हजारे ट्रॉफी में यह बैक-टू-बैक प्रदर्शन एक बार फिर याद दिलाता है- विराट कोहली किसी विदाई की तैयारी में नहीं हैं. वह अभी भी लिख रहे हैं, और हर पारी के साथ अपनी कहानी में नया अध्याय जोड़ रहे हैं.
37 की उम्र में भी अगर बल्ला इस तरह बोल रहा है, तो सवाल यह नहीं कि विराट कोहली कब तक खेलेंगे… सवाल यह है- कौन उन्हें रोक पाएगा?