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Keshav Maharaj: हनुमान भक्त हैं साउथ अफ्रीकी टीम के कप्तान केशव महाराज, यूपी से है खास कनेक्शन

भारतीय मूल के केशव महाराज ने अब तक साउथ अफ्रीका के लिए 42 टेस्ट, 21 वनडे और 13 टी20 मैच खेले हैं. अब भारत के खिलाफ अफ्रीकी टीम की कप्तानी भी की.

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Keshav Maharaj (Twitter)
Keshav Maharaj (Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केशव महाराज भारतीय मूल के अफ्रीकी क्रिकेटर हैं
  • उनके पूर्वज यूपी के सुल्तानपुर से ताल्लुक रखते थे

टीम इंडिया के खिलाफ पांच मैचों की टी20 सीरीज के आखिरी मुकाबले में साउथ अफ्रीका टीम की कप्तानी स्पिनर केशव महाराज को सौंपी गई. केशव महाराज भारतीय मूल के खिलाड़ी हैं, जो साउथ अफ्रीका के लिए खेल रहे हैं. यह भी संयोग है कि उन्होंने भारत के खिलाफ उसी की धरती पर कप्तानी भी की. हालांकि सीरीज का आखिरी मैच बारिश की वजह से बेनतीजा रहा.

इस साल जनवरी में साउथ अफ्रीका दौरे पर टीम इंडिया को वनडे सीरीज में करारी हार झेलनी पड़ी थी. तब केशव महाराज ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए 'जय श्री राम' कहा था. तभी से केशव सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. 

सुल्तानपुर से है केशव का खास कनेक्शन

बता दें कि केशव महाराज हनुमान जी के बड़े भक्त हैं. भारतीय मूल के केशव साउथ अफ्रीका में रहते हैं, लेकिन रीति-रिवाज पूरी तरह से भारतीय फॉलो करते हैं. सभी हिंदू त्योहार भी मनाते हैं. केशव महाराज का भारत के साथ उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से भी गहरा कनेक्शन है.

दरअसल, एक इंटरव्यू में केशव के पिता आत्मानंद महाराज ने बताया था कि उनके पूर्वज सुल्तानपुर से ताल्लुक रखते थे. 1874 में उनके पूर्वज अच्छी नौकरी की तलाश में भारत से डरबन आ गए थे. उस समय अफ्रीका में काफी अवसर थे. तब अफ्रीका को अच्छी स्किल वाले मजदूरों की जरूरत थी और भारतीयों के पास कृषि का अच्छा अनुभव था. 

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केशव के पिता भी क्रिकेटर रह चुके

केशव महाराज के परिवार में 4 सदस्य हैं. केशव के अलावा माता-पिता और एक बहन है. बहन की शादी श्रीलंका के ही रहने वाले एक व्यक्ति से हुई है. आत्मानंद ने बताया था कि हम अपने परिवार की पांचवी या छठी पीढ़ी हैं. 'महाराज' उपनाम मेरे पूर्वजों की ही देन है. हम जानते हैं कि भारत में नाम का महत्व क्या है.

केशव के पिता आत्मानंद भी एक क्रिकेटर रह चुके हैं. वह डोमेस्टिक क्रिकेट में विकेटकीपर थे. हालांकि आत्मानंद को कभी भी टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि तब अफ्रीका में क्रिकेट बहाल नहीं हुआ था.

 

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