अपने खिलाड़ियों से हमेशा सफलता की मांग करने वाले भारतीय दर्शकों को खुश रखना आसान नहीं है. भारतीय टीम के वर्ल्डकप खिताब बचा पाने पर तो दांव लगाने वाले न के बराबर हैं, लेकिन वर्ल्डकप के अपने पहले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम की जीत लगभग सभी तय मान रहे हैं.
भारत और पाकिस्तान रविवार को एडिलेड ओवल में एक-दूसरे के खिलाफ अपने-अपने वर्ल्डकप अभियान की शुरुआत करेंगे. अपने पहले मैच की पूर्व संध्या पर भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने प्रशंसकों को आश्वासन देते हुए कहा कि उनकी टीम के खिलाड़ी इस मैच के दबाव के झेलने की क्षमता रखते हैं.
धोनी ने कहा कि इस मैच को लेकर भारतीय टीम के खिलाड़ियों में बेचैनी नहीं है, बल्कि वे काफी संयत हैं और उनके पास बड़े मैचों का दबाव झेलने का अनुभव है. धोनी का तर्क है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के बेहद दबाव वाले तथा खचाखच भरे स्टेडियम में खेलने से उनकी टीम की वर्ल्डकप की अच्छी तैयारी हुई है.
लेकिन धोनी शायद यह भूल गए कि वर्ल्डकप जैसे टूर्नामेंट में दबाव सहने की क्षमता नहीं, बल्कि विपक्षी टीम पर दबाव बनाने की क्षमता सफलता दिलाती है. मेजबानों न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने दिखा दिया है कि कैसे विपक्षी टीम को बल्लेबाजी के बल पर मैच से बाहर कर दिया जाता है.
इसे संयोग ही कहेंगे कि दोनों ही मेजबानों न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को उनकी विपक्षी टीमों ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया और दोनों ही टीमों ने शुरुआती पॉवर प्ले की समाप्ति तक अपेक्षित शुरुआत हासिल कर ली. ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप में 23 साल पहले हुए वर्ल्डकप के दौरान भारतीय टीम, पाकिस्तान के खिलाफ अपने 216 रनों के स्कोर का बचाव करने में सफल रही थी और पाकिस्तान को 173 पर समेट दिया था. लेकिन वह दौर ऐसा था जब 220 से ज्यादा का स्कोर अच्छा माना जाता था.
धोनी पाकिस्तान के खिलाफ पहले गेंदबाजी चुनना पसंद कर सकते हैं, ताकि उनकी अप्रभावी गेंदबाजी आक्रमण ताजी पिच का लाभ उठा सके. लेकिन ऐसी स्थिति में दूसरी पारी में एडिलेड ओवल की पिच स्पिन गेंदबाजों के लिए मददगार साबित हो सकती है. पिछले साल नवंबर से ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारतीय टीम के प्रदर्शन को वर्ल्डकप की तैयारी के अनुकूल नहीं कहा जा सकता, लेकिन वर्ल्डकप में भारत को शायद इससे अच्छा कार्यक्रम भी नहीं मिल सकता.
भारत और पाकिस्तान के बीच एडिलेड में होने वाले वर्ल्ड कप मुकाबले से पहले जरूरी है दोनों टीमों को आंकड़ों के तराजू पर भी तौल लिया जाए. पेश हैं दोनों टीमों से जुड़े कुछ अहम और दिलचस्प आंकड़े...
दोनों टीमों का वन-डे रिकॉर्ड
|
मैच |
जीत |
हार |
टाई |
बेनतीजा |
जीत% |
|
|
भारत |
872 |
437 |
389 |
7 |
39 |
50.11 |
|
पाकिस्तान |
830 |
440 |
365 |
8 |
17 |
53.01 |
साल 2014 से अब तक वन-डे मुकाबलों में
|
मैच |
जीत |
हार |
टाई |
बेनतीजा |
जीत% |
|
|
भारत |
28 |
14 |
11 |
1 |
2 |
50.00 |
|
पाकिस्तान |
18 |
6 |
12 |
0 |
0 |
33.33 |
मौजूदा फॉर्म- पिछले 10 मुकाबलों में प्रदर्शन
भारत- 6 जीत, 3 हार, 1 बेनतीजा
पाकिस्तान- 2 जीत, 8 हार
भारत बनाम पाकिस्तान- वनडे में
|
मैच |
भारत |
पाक |
बेनतीजा |
टाई |
|
|
कुल मुकाबले |
126 |
50 |
72 |
4 |
0 |
|
वर्ल्ड कप में |
5 |
5 |
0 |
0 |
0 |
|
पिछले 10 मैच |
10 |
5 |
5 |
0 |
0 |
|
ऑस्ट्रेलिया में |
7 |
4 |
3 |
0 |
0 |
|
एडिलेड में |
1 |
1 |
0 |
0 |
0 |
एडिलेड में भारत-पाकिस्तान
एडिलेड में भारत
|
मैच |
जीत |
हार |
बेनतीजा |
टाई |
जीत% |
|
|
पहले बल्लेबाज़ी |
6 |
4 |
2 |
0 |
0 |
66.66 |
|
बाद में बल्लेबाज़ी |
7 |
3 |
3 |
0 |
1 |
42.86 |
|
कुल मुक़ाबले |
13 |
7 |
5 |
0 |
1 |
53.85 |
एडिलेड में पाकिस्तान
|
मैच |
जीत |
हार |
बेनतीजा |
टाई |
जीत% |
|
|
पहले बल्लेबाज़ी |
8 |
3 |
4 |
1 |
0 |
37.50 |
|
बाद में बल्लेबाज़ी |
7 |
0 |
7 |
0 |
0 |
0.00 |
|
कुल मुक़ाबले |
15 |
3 |
11 |
1 |
0 |
20.00 |
ट्रिविया
1. मौजूदा भारतीय टीम की तरफ से सिर्फ 4 खिलाड़ियों ने वर्ल्ड कप में शिरकत की है। ये है महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, सुरेश रैना और रविचंद्रन अश्विन.
2. पाकिस्तान की तरफ से 6 खिलाड़ियों को वर्ल्डकप का अनुभव है. ये हैं शाहिद अफरीदी, यूनिस खान, मिस्बाह-उल-हक, उमर अकमल, वहाब रियाज और अहमद शहजाद.
कुछ खेल विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि वर्ल्डकप का प्रारूप इसलिए ऐसा रखा गया है ताकि भारत टूर्नामेंट में ज्यदा से ज्यादा समय तक कॉम्पटीशन में बना रहे. और शायद आईसीसी भी नहीं चाहता कि भारतीय टीम नॉकआउट से पहले ही बाहर हो. भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच कई मायनों में बेहद अहम है, क्योंकि जीत मिलने पर भारत का नॉकआउट में जाना काफी हद तक तय हो जाएगा.
इसके बाद भारत को खिताब बचाने के लिए मात्र दो मैच जीतने होंगे, लेकिन भारत की जीत इन सवालों पर काफी हद तक निर्भर करेगी कि...
- टेस्ट मैचों में बेहद खराब प्रदर्शन करने के बाद क्या भारतीय गेंदबाजी अंतरराष्ट्रीय वनडे में खुद को पटरी पर लौटा पाएगी?
- मैच जिताऊ गेंदबाजों के अभाव में क्या बल्लेबाजी खराब गेंदबाजी की भरपाई कर पाएंगे?
- क्या भारतीय फील्डर अपने पुराने दिनों की छवि से बाहर निकल पाएंगे?
- क्या भारतीय टीम धोनी के साथ उस हद तक कदमताल करने को उत्सुक है, जैसी पिछली बार सचिन तेंदुलकर के साथ थी?
- और अंत में यह कि क्या कप्तान धोनी पिछली बार की ही तरह अपनी टीम के लिए उसी तरह प्रेरणा स्रोत बन पाएंगे?
- इनपुट IANS से