ये पहली बार है जब भारत बिना सचिन तेंदुलकर के पाकिस्तान के खिलाफ किसी वर्ल्ड कप मुकाबले में उतरेगा. दोनों देशों के बीच वर्ल्ड कप में अब तक हुए 5 मुक़ाबलों में से तीन में सचिन मैन ऑफ द मैच रहे. पेश है वर्ल्ड कप इतिहास के इन दिलचस्प 5 मुकाबलों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां.
भारत-पाकिस्तान वर्ल्ड कप मुकाबले
सिडनी, 1992:
टॉस जीतने के बाद भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने पहले बल्लेबाजर चुनी. रवि शास्त्री को ड्रॉप कर नए नवेले अजय जडेजा को अपने दूसरे ही मैच में ओपनिंग के लिए भेजा गया था. उन्होंने 46 रन बनाकर अपनी उपयोगिता साबित भी की. लेकिन पारी के हीरो सचिन तेंदुलकर ही रहे. सचिन ने 54 रन बनाए और भारत ने 49 ओवर में 216 रन बनाए. जवाब में पाकिस्तान की शुरुआत भी खराब रही और अंत भी. आमिर सोहेल के 62 और जावेद मियांदाद के 40 रनों के बावजूद पाकिस्तान जीत नहीं पाया. पाकिस्तान ने अपने आखिरी 8 विकेट तो महज 68 रनों पर खो दिए. भारत 43 रनों से मैच जीता, लेकिन मैच के नतीजे से ज्यादा भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे और जावेद मियांदाद का विवाद चर्चा में रहा. मोरे की जरूरत से ज्यादा अपील से परेशान होकर मियांदाद मैदान पर ही उनकी नकल करने लगे और बल्ला हाथ में लेकर हवा में छलांग लगाने लगे. अंपायरों ने मैच रेफरी टेड विक्स को रिपोर्ट दी, जिन्होंने दोनों टीमों के मैनेजरों को तलब कर विवाद निपटाने के लिए कहा.
बैंगलोर, 1996:
जमीन भारत की थी और टॉस भी भारत ने ही जीता. पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने नवजोत सिद्धू के शानदार 93 रनों की बदौलत एक मजबूत स्कोर की तरफ कदम तो बढ़ाया लेकिन पारी को गति दी अजय जडेजा की तूफानी पारी ने. सिर्फ 25 गेंदों में जडेजा ने 45 रनों की तेज पारी खेली. पारी के आखिरी 3 ओवर में तो भारत ने 51 रन बटोरे. इन 3 में से 2 ओवर वकार यूनुस ने किए, जिसमें उन्हें 40 रन गंवाने पड़े. भारत ने 50 ओवर में 8 विकेट पर 287 रन बनाए. जवाब में पाकिस्तानी ओपनर्स सईद अनवर और आमिर सोहेल ने जबरदस्त शुरुआत की लेकिन वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले ने 3-3 विकेट बांटकर पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया. पाकिस्तान ये मैच 39 रन से हारा. ये मैच भी अपने साथ एक विवाद लेकर आया. पाकिस्तान की बल्लेबाजी के दौरान ओपनर आमिर सोहेल ने वेंकटेश प्रसाद को बल्ले से इशारा किया, जवाब में प्रसाद ने उन्हें अगली ही गेंद पर बोल्ड कर दिया. मैच के बाद पाकिस्तान में उनकी टीम के खिलाफ काफी विरोध-प्रदर्शन हुआ.
मैनचेस्टर, 1999:
कश्मीर में भारत-पाकिस्तान की सेनाओं के बीच तलवारें खिचीं थीं. डर था कि कहीं मैदान में भी दोनों टीमों के समर्थक भिड़ ना जाएं, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट. शानदार माहौल के बीच दोनों टीमें मैनचेस्टर में मैदान पर उतरीं. अजहर ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी चुनी. सचिन ने पारी को शुरुआती मज़बूती दी तो द्रविड़ और अज़हर ने मिडिल ऑर्डर संभालकर टीम इंडिया को 6 विकेट पर 227 रन के स्कोर तक पहुंचा दिया. जवाब में पाकिस्तान की टीम वेंकटेश प्रसाद से पार नहीं पा सकी. सईद अनवर, इंज़माम और मोईन खान ने कोशिश तो बहुत की लेकिन लगातार गिरते विकेटों के बीच पाकिस्तान सिर्फ 180 रन ही बना सका. वेंकटेश प्रसाद ने 27 रन देकर 5 विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच रहे.
सेंचुरियन, 2003:
जून 2000 के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच ये पहला मैच था. दक्षिण अफ्रीका की तेज गर्मी में पारा इस मैच की वजह से भी बढ़ा हुआ था. वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने पहली बार टॉस जीता और बल्लेबाजी करने उतरी. सईद अनवर के शानदार 101 रनों की बदौलत पाकिस्तान ने 7 विकेट पर 273 रन का स्कोर खड़ा किया. भारत बल्लेबाजी करने उतरा तो वसीम, वकार और शोएब अख्तर की तिकड़ी से पार पाना पहली चुनौती थी. लेकिन ऐसी परिस्थितियों में सचिन ने इस वर्ल्ड कप की सबसे यादगार पारी खेली. खासकर शोएब अख्तर की गेंदों की तो ऐसी धुनाई हुई, जिसे आज भी याद किया जाता है. सचिन जब 32 पर थे तब उनके पैर में खिंचाव आ गया, लेकिन इसके बावजूद वो डटे रहे और अपने शतक से महज 2 रन पहले वो आउट हो गए. लेकिन द्रविड़ और युवराज ने टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचा ही दिया.
मोहाली, 2011:
ये वर्ल्डकप का सेमीफाइनल था. दोनों देशों के प्रधानमंत्री मैच देखने पहुंचे थे. जाहिर है दबाव तो था ही. टॉस भारत के नाम रहा और धोनी ने पहले बल्लेबाजी चुनी. सहवाग ने तेज शुरुआत की और सचिन ने पारी को बांधे रखा. एक के बाद एक मिले 4 जीवनदानों की बदौलत सचिन ने 85 ठोके और भारत ने 9 विकेट पर 260 रन बनाए. जवाब में पाकिस्तान 231 रन ही बना सका और भारत फाइनल में पहुंच गया. पाकिस्तान की तरफ से इस मैच के मुजरिम मिस्बाह-उल-हक कहलाए, जिनकी धीमी बल्लेबाजी पर हार का ठीकरा फोड़ा गया.