scorecardresearch
 

कभी ‘होम बुलडोजर’... गंभीर युग में ड‍िरेल हुई टीम इंडिया? क्या सच में सेलेक्शन में ‘सर्जरी’ की जरूरत

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में मिली 30 रनों की हार ने भारत की घरेलू बादशाहत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. टीम, जिसे कभी ‘होम बुलडोज़र’ कहा जाता था, अब पिछले 13 महीनों में घर पर चार हार झेल चुकी है... 53 साल का सबसे खराब दौर.

Advertisement
X
गंभीर युग में लड़खड़ाती टीम इंडिया... (Photo, PTI)
गंभीर युग में लड़खड़ाती टीम इंडिया... (Photo, PTI)

कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के हाथों 30 रनों की हार ने भारत को वहीं ला खड़ा किया है, जहां वह पिछले एक दशक में कभी नहीं पहुंचा. टीम इंडिया घबराहट, अस्थिरता और चयन को लेकर गहरी असुरक्षा के मोड़ पर दिख रही है. यह सिर्फ एक हार नहीं, बल्कि पिछले 13 महीनों से चली आ रही चिंता की कहानी का ताजा और सबसे चुभता हुआ अध्याय है.

यह हार कुछ कहती है… यह उस पहचान के टूटने की कहानी है, जिसे टीम ने वर्षों में घर पर गढ़ा था. इसी वजह से यह नतीजा आम दर्शक को किसी भी साधारण हार से कहीं ज्यादा चुभता है.

वन-डाउन पर पुजारा-कोहली की छवि, दिखे वॉशिंगटन- निराशा तय थी

भारतीय क्रिकेट प्रेमी टेस्ट में वन-डाउन पर चेतेश्वर पुजारा या विराट कोहली जैसे सितारों को देखने के आदी हैं, इसलिए वॉशिंगटन सुंदर को उस जगह देखकर उन्हें हैरानी हुई.

दरअसल, कोलकाता टेस्ट में वॉशिंगटन सुंदर को देखकर निराशा और बढ़ी. सुंदर प्रतिभाशाली हैं, पर उनकी पहचान अब भी एक गेंदबाज-ऑलराउंडर की है. ऐसी जगह पर टीम की ‘बैलेंस मजबूरी’ के नाम पर उन्हें भेजना यह दिखाता है कि चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट किस तरह अनिश्चितता से जूझ रहे हैं.

यह वही टीम है जो कुछ समय पहले तक घर में ‘अजेय’ कहलाती थी, लेकिन अब अनजान, असंतुलित और अस्थिर दिख रही है.

Advertisement

13 महीनों में 6 में से 4 टेस्ट गंवाए: 53 साल में सबसे खराब घर का दौर

कोलकाता टेस्ट के साथ ही भारत पिछले 6 घरेलू टेस्ट में चार हार झेल चुका है. पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में न्यूजीलैंड ने भारत को 3-0 से धोया. इसके बीच सिर्फ वेस्टइंडीज के खिलाफ एक 2-0 की सीरीज जीत है, जो मुश्किल से इस पतन को छुपा पा रही है.

यही नहीं, पिछले 13 महीनों में घर पर भारत का 2-4 का विन-लॉस रिकॉर्ड है. यह 1972 के बाद सबसे खराब घरेलू सफर है. इससे पहले भारत ने 6 घरेलू टेस्ट में 4 हार 1969-72 के बीच झेली थी, जब प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड थे.

लगातार इतने अंतराल पर घर में चार हार देखना आज के दौर में चौंकाने वाला है. भारत ने फरवरी 2017 से सितंबर 2024 के बीच अपने 34 घरेलू टेस्ट में 25-4 का कमाल का रिकॉर्ड बनाया था- उस अवधि में यह जीत का आंकड़ा दुनिया की किसी भी टीम से बेहतर रहा. लेकिन न्यूजीलैंड सीरीज के बाद आया यह पतन यह दिखाता है कि टीम जहां खड़ी थी, वहां अब नहीं है.

घबराहट में चयन-सर्जरी... क्या स्थिति और बिगाड़ेगी?

घबराहट में बड़े बदलाव. लेकिन असली खतरा यहीं है. कोलकाता की हार के बाद सोशल मीडिया से लेकर पैनल चर्चाओं तक चयन में बड़े बदलाव की मांग उठ रही है. पर भारत अभी जिस मोड़ पर है, वहां ‘बड़ी सर्जरी’ उल्टा असर डाल सकती है. टीम की समस्या तकनीक, तालमेल और आत्मविश्वास की है- टैलेंट की नहीं. यह वक्त नए-नए चेहरों को घर में फेंकने का नहीं, बल्कि कोर स्ट्रक्चर को स्थिर रखने का है.

Advertisement

समस्या पिच नहीं, पहचान का टूटना है

समस्या पिच नहीं, पहचान के टूटने की है. ईडन गार्डन्स की पिच भले ही अप-डाउन थी, लेकिन भारत की दिक्कत उससे कहीं गहरी है. टीम अब घर में वैसी नहीं रही जैसी कभी हुआ करती थी. वन-डाउन पर अनिश्चितता, मध्यक्रम में लगातार बदलाव, गेंदबाजी कॉम्बिनेशन का सही संतुलन न मिलना और आत्मविश्वास का पूरी तरह गायब हो जाना… ये सब मिलकर बताते हैं कि यह वो भारत नहीं है, जिसे कभी ‘होम बुलडोजर’ कहा जाता था.
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement