Hit the ball twice OUT: क्रिकेट मे कई बार कुछ ऐसे नजारे देखने को मिल जाते हैं, जिसे लेकर कोई कल्पना नहीं कर सकता है. कई बार मैदान पर खिलाड़ी इस तरह से आउट हो जाते है, जिसे दुर्लभ ही कहा जाता है.
मणिपुर के लामाबम सिंह रणजी ट्रॉफी प्लेट लीग मैच में मेघालय के खिलाफ सूरत में क्रिकेट के सबसे दुर्लभ आउट में से एक का शिकार हुए. दरअसल, उन्होंने गेंद को दो बार मारा, जिस वजह से वह पवेलियन लौट गए .
लामाबम ने आर्यन बोरा की एक गेंद को डिफेंड किया था, लेकिन गेंद धीरे-धीरे स्टंप्स की ओर लुढ़कने लगी. तभी उन्होंने बैट से गेंद को रोक दिया. मैच में मौजूद लोगों ने ESPNcricinfo को बताया कि गेंद स्टंप्स की ओर जा रही थी और बल्लेबाज ने दूसरी बार उसे मारकर विकेट बचाने की वैध कोशिश की थी, लेकिन न तो बल्लेबाज और न ही टीम ने अंपायर के फैसले पर कोई विरोध जताया.
ESPNcricinfo को एक ग्राउंड अधिकारी ने कहा- वह इसे पैड से रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने बैट लगाकर गेंद रोकी और अंपायर धर्मेश भारद्वाज ने तुरंत ‘हिट द बॉल ट्वाइस’ देकर आउट दे दिया. मेघालय की अपील होते ही बल्लेबाज पवेलियन लौट गए.
MCC के नियम 34.1.1 में कहा गया है कि अगर गेंद प्ले में है और स्ट्राइकर के शरीर या बैट से लगने के बाद जानबूझकर वह दूसरी बार बैट या शरीर (सिवाय उस हाथ के जो बैट नहीं पकड़े हो) से गेंद को मारता है, और यह फील्डर के गेंद छूने से पहले होता है, तो उसे ‘हिट द बॉल ट्वाइस’ आउट दिया जाएगा. सिवाय उस स्थिति के जब दूसरी बार गेंद को मारना सिर्फ विकेट बचाने के लिए किया गया हो.
रणजी ट्रॉफी में इस तरह आउट होने का पिछला मामला 2005-06 में हुआ था, जब जम्मू-कश्मीर के कप्तान ध्रुव महाजन झारखंड के खिलाफ इसी तरह आउट हुए थे. उससे पहले सिर्फ तीन रणजी क्रिकेटर ऐसे आउट हुए थे. आंध्र के के बावन्ना (1963-64), जम्मू-कश्मीर के शाहिद परवेज (1986-87) और तमिलनाडु के आनंद जॉर्ज (1998-99).
मंगलवार को लामाबम ने 20 गेंदों का सामना किया और वह 0 पर आउट हुए. मैच में मणिपुर मेघालय को 88 रन की बढ़त दे बैठा. मणिपुर अब इस मैच से ड्रॉ निकालने की कोशिश करेगा, उसके पास एक अंक भी प्लेट फाइनल के लिए टॉप 2 में जगह पक्की करने के लिए पर्याप्त होगा. वैसे क्रिकेट में कोई भी खिलाड़ी 9 तरीके से आउट हो सकता है.