वो लड़का, जिसने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीतने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा- आज (5 नवंबर) 37 साल का हो चुका है. वो खिलाड़ी, जिसने भारतीय क्रिकेट को ‘भरोसे’ की नई परिभाषा दी, अब खुद एक प्रश्नचिह्न के बीच खड़ा है... जी हां, जिक्र विराट कोहली का है और उनके जन्मदिन पर सवाल भी उतना ही बड़ा है- 'क्या कोहली 2027 वर्ल्ड कप तक खेल पाएंगे?
टेस्ट और टी20 इंटरनेशनल से संन्यास के बाद अब उनका सफर सिर्फ वनडे तक सिमट गया है. इसी एक फॉर्मेट में अब हर रन, हर पारी और हर दिन उनके करियर का अगला अर्थ तय कर रहा है. फिर भी, जब तक उनके बल्ले की धार बाकी है, एक बात निश्चित है- ‘किंग कोहली’ का ताज अभी किसी और के सिर नहीं गया.
ऑस्ट्रेलिया में फॉर्म पर हो-हल्ला
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर विराट कोहली की बल्ले से शुरुआत खराब रही... पहले दोनों वनडे मैचों में शून्य (0) पर आउट हो गए. आलोचक सक्रिय हो गए, सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे- 'क्या यह किंग का ढलता दौर है?' लेकिन तीसरे वनडे में उन्होंने अपनी खास शैली में जवाब दिया- नाबाद 74 रन बनाए. भले ही भारत सीरीज 1-2 से हार गया, लेकिन कोहली ने याद दिला दिया कि क्लास कभी आउट ऑफ फॉर्म नहीं होती.
... सिर्फ एक फॉर्मेट, बढ़ती उम्र
सिर्फ वनडे क्रिकेट तक सीमित रहना, अगले दो साल तक फिटनेस तथा फॉर्म बरकरार रख पाना और घरेलू क्रिकेट से दूरी- ये तीन बातें लगातार इस सवाल को जिंदा रखती हैं कि क्या विराट कोहली 2027 के वर्ल्ड कप तक अपने ‘किंग मोड’ में बने रह पाएंगे?
इस सवाल का जवाब सबको मालूम है. वो अब भी फिट हैं, अब भी मैदान पर सबसे ऊर्जावान खिलाड़ियों में से एक हैं, वे आलोचनाओं का जवाब शब्दों से नहीं, अपने खेल से देते हैं, उनकी ‘अद्भुत’ फिटनेस और बल्ले की कलाकारी ही उनका असली बयान है, ऐसा माना जाता है कि कोहली ज्यादा खतरनाक होकर लौटते हैं.
‘किंग कोहली’ नाम कैसे पड़ा?
‘किंग कोहली’ यह नाम किसी एक मैच या सीरीज की देन नहीं, बल्कि एक युग की पहचान है. उनकी बल्लेबाजी में गुस्सा नहीं, भूख है. रनों की भूख, जीत की भूख और खुद को हर बार बेहतर साबित करने की भूख. वो हर परिस्थिति में एक ही चीज पर भरोसा करते हैं- अपनी मेहनत पर. कहते हैं, जब टीम मुश्किल में होती है, तो विराट का चेहरा सबसे पहले स्क्रीन पर फोकस होता है- क्योंकि तभी उम्मीदें जागती हैं.
2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान मेलबर्न में रहने वाले भारतीय आईटी प्रोफेशनल कुणाल गांधी ने विराट को एक जर्सी भेंट की थी, जिस पर लिखा था- King Kohli. उस शख्स का कहना था- 'मैं सिर्फ ‘Kohli’ नहीं लिखना चाहता था. उस वक्त वह जबरदस्त फॉर्म में थे, तो ‘King’ शब्द अपने आप आ गया. मैंने जर्सी दी, उन्होंने साइन किया, और यही नाम चल पड़ा.'
विराट कोहली अब चाहे कितने भी मैच खेलें या न खेलें, उनका प्रभाव क्रिकेट से परे जा चुका है. उन्होंने फिटनेस की परिभाषा बदली, मानसिक मजबूती की मिसाल दी और करोड़ों युवाओं को यह सिखाया कि टैलेंट तभी मायने रखता है, जब आप उसे अनुशासन से सींचते हैं.
आलोचनाओं के शोर और उम्मीदों के भार के बीच कोहली पर एक बार फिर उसी जुनून के साथ उतरने का दबाव है.
2027 वर्ल्ड कप तक खेलना उनके शरीर की नहीं, उनके इरादे की परीक्षा होगी. वो खुद जानते हैं कि हर युग का एक अंत होता है... लेकिन विराट के लिए यह अंत नहीं, बल्कि एक विरासत है जो उनके बाद भी जिंदा रहेगी.