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Bishan Singh Bedi Passed Away: जब खून से लथपथ हुए भारतीय खिलाड़ी... कप्तान बेदी ने गेंदबाजों से बचने के लिए घोषित की पारी

पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी का 77 साल की उम्र में निधन हुआ. बेदी के परिवार में उनकी पत्नी अंजू, बेटा अंगद और बेटी नेहा हैं. उनके एक करीबी दोस्त ने कहा, 'उन्होंने सोमवार सुबह अपने घर पर अंतिम सांस ली. हाल ही में उनके घुटने का ऑपरेशन हुआ था. संक्रमण फैल गया और वह इससे उबर नहीं सके.'

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1976 के वेस्टइंडीज दौरे पर किंग्सटन टेस्ट में 5 भारतीय खिलाड़ी एबसेंट हर्ट हुए थे. (Getty)
1976 के वेस्टइंडीज दौरे पर किंग्सटन टेस्ट में 5 भारतीय खिलाड़ी एबसेंट हर्ट हुए थे. (Getty)

Bishan Singh Bedi Passes Away: भारत में खेले जा रहे वनडे वर्ल्ड कप 2023 के बीच सोमवार (23 अक्टूबर) को खेल जगत के लिए एक बुरी खबर सामने आई. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज लेफ्ट-ऑर्म स्पिनर बिशन सिंह बेदी का 77 साल की उम्र में निधन हो गया. लंबी बीमारी के कारण उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा.

बेदी भारतीय क्रिकेट का वो चेहरा रहे, जो न सिर्फ मैदान पर अपने प्रदर्शन से चमके... बल्कि अपने नेतृत्व से मिसाल कायम की और साथ ही अपने विचार रखने में कभी संकोच नहीं किया. भारतीय जमीन से लेकर विदेशों में भी उन्होंने अपनी फ्लाइटेड लेग ब्रेक के जाल में बड़े-बड़े दिग्गजों को उलझाया.

वेस्टइंडीज के खिलाफ जीता मैच गंवा दिया था

कई बार बेदी अपने फैसलों के कारण आलोचना भी झेल चुके हैं. नवंबर 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ जीता हुआ मैच तब कप्तान रहे बेदी ने जानबूझकर गंवा दिया था. पाकिस्तान टीम की बेईमानी के बाद उन्होंने मैच खेलने से मना कर दिया था और बल्लेबाजों को मैदान के बाहर बुला लिया था. तब मैच में पाकिस्तान को जीत मिली थी.

ऐसा ही एक वाकया 1976 के वेस्टइंडीज दौरे पर भी देखने को मिला था, जब होल्डिंग, डेनियल, जूलियन और होल्डर जैसे कैरेबियन गेंदबाजों की खतरनाक बॉलिंग से अपने बल्लेबाजों का बचाने के लिए कप्तान बिशन सिंह बेदी ने चौथे टेस्ट की दोनों ही पारियां बिना पूरी खेले पारी घोषित कर दी थी. जबकि इस मैच को जीतकर भारत सीरीज को 2-2 से बराबर करने की स्थिति में था.

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भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज में रचा था इतिहास

दरअसल, तब वेस्टइंडीज दौरे पर भारतीय टीम ने पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट में 403 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 406/4 रन बनाकर इतिहास रच दिया था. 12 अप्रैल 1976 को चौथी पारी में सबसे बड़े लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा करने का रिकॉर्ड भारत के नाम दर्ज हो गया था, जो 27 साल तक बरकरार रहा.

... लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसे यादकर आज भी डर लगता है. कैरेबियाई तेज गेंदबाजों ने सीरीज के चौथे और आखिरी टेस्ट में ऐसी आग उगली की भारतीय खिलाड़ी पिच पर उतरने लायक नहीं बचे. भारत की दूसरी पारी के स्कोर बोर्ड पर 5 खिलाड़ियों के आगे 'एबसेंट हर्ट' लिखा गया. दरअसल, सीरीज 1-1 से बराबरी पर थी, और किंग्स्टन में अप्रत्याशित उछाल से विंडीज के तेज गेंदबाजों ने भारतीय टीम को जबरदस्त निशाना बनाया.

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भारत को रोकने कैरेबियन गेंदबाजों का खूंखार प्लान

भारतीय टीम को (21-25 अप्रैल 1976 किंग्सटन टेस्ट) सबिना पार्क में माइकल होल्डिंग और वेन डैनियल, बर्नार्ड जूलियन और वैन होल्डर से सजे तेज आक्रमण के खिलाफ पहली पारी में 306/6 के स्कोर पर पारी घोषित करनी पड़ी. इस पारी में अंशुमन गायकवाड़ और बृजेश पटेल बुरी तरह चोटिल होकर 'रिटायर्ड हर्ट' हुए.

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इस पारी में भारत के लिए अंशुमान गायकवाड़ ने 81 और सुनील गावस्कर ने 66 रन बनाए थे. दोनों ने ओपनिंग में 136 रनों की साझेदारी की थी. गावस्कर को बोल्ड करते हुए होल्डिंग ने विंडीज को ब्रेक दिलाया. इसके बावजूद भारतीय टीम बड़े स्कोर की ओर बढ़ रही थी, तभी उसे रोकने के लिए विंडीज ने खूंखार प्लान अपनाया.

पहली पारी में ही कई भारतीय खिलाड़ी हुए चोटिल

उसके भीमकाय शरीर वाले गेंदबाजों ने बॉडी लाइन पर बॉल करनी शुरू की. होल्डिंग की बांउसर अंशुमन के कान पर लगी और खून बहने लगा. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां उन्हें 2 दिन भर्ती रखा. जबकि बृजेश पटेल को मुंह में चोट लगने के बाद टांके पड़े थे (याद रहे वह बिना हेलमेट वाला जमाना था). इतना ही नहीं गुंडप्पा विश्वनाथ के दाहिने हाथ की उंगली टूट गई. ये तीनों मैच में आगे खेलने लायक नहीं बचे.

भारतीय टीम के जब 6 विकेट गिरे तो कप्तान बिशन सिंह बेदी ने पारी घोषित कर दी. उन्हें डर था कि कहीं इस कातिलाना गेंदबाजी के कारण उनके बॉलर चोटिल ना हो जाएं, वरना गेंदबाजी कौन करेगा.

भारत का पेस अटैक उस पिच का फायदा नहीं उठा सका और वेस्टइंडीज ने अपनी पहली पारी में 391 बना लिए. उस वक्त मदनलाल और मोहिंदर अमरनाथ की तेजी के भरोसे भारतीय टीम उतरी थी, उन दोनों ने क्रमश: 7 और 8 ओवर ही डाले. दूसरी तरफ बेदी, चंद्रा और राघवन की स्पिन तिकड़ी थी, जिसने ज्यादातर ओवर डाले.

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97/5 रनों के स्कोर के बाद कोई भी खेलने लायक नहीं बचा था

भारतीय टीम अपनी दूसरी पारी में अपने तीन बल्लेबाजों के बिना उतरी. किसी तरह टीम ने 5 विकेट गंवाकर 97 रनों का स्कोर बना लिया था. भारत को सिर्फ 12 रनों की बढ़त हो पाई थी. मगर यहीं भारतीय पारी का अंत हो गया. दरअसल, इसके बाद बेदी और चंद्रशेखर को बैटिंग के लिए आना था. जबकि 3 प्लेयर पहले ही चोटिल हो चुके थे. ऐसे में बेदी ने यहीं पारी घोषित कर दी.

तब बेदी ने कहा था कि चंद्रशेखर और वह खुद फील्डिंग के दौरान चोटिल हो गए थे. हाथ में चोट लगने से बल्लेबाजी करने में भी असमर्थ थे. यानी अंशुमन गायकवाड़, बृजेश पटेल और गुंडप्पा विश्वनाथ तो पहले से ही चोटिल थे और अब बेदी-चंद्रा भी बल्लेबाजी के लिए नहीं उतरे. ऐसे में भारत के 5 खिलाड़ियों को 'एबसेंट हर्ट' माना गया ना की पारी घोषित.

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चोट से हुआ बुरा हाल... टीम के 17 खिलाड़ियों ने की फील्डिंग

चोट से टीम का हाल बुरा था. हालत इतनी खराब थी कि दौरे पर गए सभी 17 खिलाड़ी सब्स्टीट्यूट (स्थानापन्न) के तौर पर कभी न कभी मैदान पर दिखे. संकट यहीं खत्म नहीं हुआ, इस दौरान सब्स्टीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे सुरिंदर अमरनाथ को मैच के दौरान ही अपेंडिक्स ऑपरेशन के लिए अस्पताल ले जाया गया था.

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वेस्टइंडीज ने यह मैच दस विकेट से जीता और सीरीज पर 2-1 से कब्जा किया. वेस्टइंडीज के लिए क्वाइव लॉयड की कप्तानी में विश्व क्रिकेट में शीर्ष पर पहुंचने की यहीं से शुरुआत हुई थी. उसने ऑस्ट्रेलिया में पिछली सीरीज 1-5 गंवाई थी, लेकिन इसके बाद वेस्टइंडीज ने 1980 के दशक के अंत तक क्रिकेट की दुनिया पर राज किया.

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