अंतरिक्ष में इंसानों के भेजने के लिए जहां एक तरफ गगनयान (Gaganyaan) मिशन चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार समुद्री की अनंत गहराइयों को नापने के लिए समुद्रयान (Samudrayaan) प्रोजेक्ट शुरू कर चुकी है. पृथ्वी विज्ञान एवं विज्ञान प्रोद्योगिकी के केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी 16 दिसंबर 2021 को राज्यसभा के एक सवाल के जवाब में दी.
समुद्रयान से पहले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने एक पर्सनल स्फेयर यान बनाया था. जो 500 मीटर की गहराई तक समुद्र में जा सकता था. इसमें एक इंसान के बैठने की क्षमता थी. पर्सनल स्फेयर 2.1 मीटर व्यास का एक गोलाकार पनडुब्बी है, जिसे माइल्ड स्टील से बनाया गया था. इसका परीक्षण हाल ही में बंगाल की खाड़ी में सागर निधि जहाज के जरिए किया गया था. इसकी सफलता के बाद ही समुद्रयान प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी गई.
क्या है समुद्रयान मिशन? (What is Samudrayaan Mission?)
समुद्रयान (Samudrayaan) प्रोजेक्ट लॉन्च करने के बाद भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे देशों के साथ ‘इलीट क्लब’ में शामिल हो चुका है. इन देशों के पास ऐसी गतिविधियों के लिए विशिष्ट तकनीक और वाहन उपलब्ध हैं. समुद्रयान का उद्देश्य गहरे समुद्र में खोज और दुर्लभ खनिजों के खनन के लिए पनडुब्बी के जरिए इंसानों को भेजना है.

क्या खासियत है समुद्रयान की? (Samudrayaan Specification)
समुद्रयान गहरे पानी में अध्ययन के लिए तीन इंसानों को मत्स्य 6000 (Matsya 6000) नाम की मानवयुक्त पनडुब्बी में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाएगा. जबकि, आमतौर पर पनडुब्बियां केवल 300 से 400 मीटर तक ही जा पाती हैं. यह प्रोजेक्ट 6 हजार करोड़ रुपये के डीप ओशन मिशन का एक हिस्सा है.
क्या है मत्स्य 6000 (What is Matsya 6000?)
मत्स्य 6000 (Matsya 6000) पूरी तरह से स्वदेशी में विकसित की जाने वाली मानवयुक्त सैन्य पनडुब्बी है. यह समुद्र के अंदर गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमैटेलिक मैन्गनीज नॉड्यूल, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्र्स्ट जैसे संसाधनों को खोजने के लिए भेजा जाएगा. ये चीजें 1000 से 5500 मीटर के गहराई में पाई जाती हैं.
डीप ओशन मिशन क्या है? (What is Deep Ocean Mission?)
जून 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था. इसका मकसद समुद्रीय संसाधनों का पता लगाना. समुद्री संसाधनों के उपयोग के लिए गहरे समुद्र में तकनीक भेजना. भारत सरकार की ब्लू इकोनॉमी में मदद करना. पांच साल के समय में इस मिशन के तहत कुल अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए है. इसे विभिन्न स्तरों में लागू करने की योजना है.