बरमूडा ट्रायंगल की रहस्यमयी कहानियां तो सब जानते हैं – जहाज और विमान गायब हो जाते हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने बरमूडा द्वीप के नीचे एक असली रहस्य खोजा है. एक नई स्टडी में पता चला है कि द्वीप के नीचे क्रस्ट (पृथ्वी की ऊपरी परत) के ठीक नीचे एक 20 km मोटी चट्टान की परत है, जो आसपास की चट्टानों से कम घनी है. ये परत द्वीप को ऊपर उठाए रखती है, जैसे कोई राफ्ट. पृथ्वी पर कहीं और ऐसी परत नहीं देखी गई है.
कार्नेगी साइंस के सीस्मोलॉजिस्ट विलियम फ्रेज़र और येल यूनिवर्सिटी के जेफ्री पार्क ने 396 भूकंपों से आने वाली सीस्मिक वेव्स (भूकंपीय तरंगों) का अध्ययन किया. ये तरंगें पृथ्वी के अंदर से गुजरती हैं. अलग-अलग घनत्व वाली परतों पर रुकती या मुड़ती हैं. बरमूडा पर लगे सीस्मिक स्टेशन के डेटा से उन्होंने द्वीप के नीचे 50 किलोमीटर तक की तस्वीर बनाई.
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सामान्य रूप से ओशनिक क्रस्ट (समुद्री क्रस्ट) के नीचे मेंटल (पृथ्वी की गर्म अंदरूनी परत) शुरू हो जाता है. बरमूडा में क्रस्ट और मेंटल के बीच एक अतिरिक्त परत है. ये परत आसपास से करीब 1.5% कम घनी है, इसलिए ये हल्की है और द्वीप को ऊपर उठाए रखती है.

बरमूडा एक ज्वालामुखी द्वीप है, लेकिन 3 करोड़ साल से ज्यादा समय से वहां ज्वालामुखी सक्रिय नहीं है. सामान्य रूप से ज्वालामुखी बंद होने पर क्रस्ट ठंडी होकर नीचे धंस जाती है. लेकिन बरमूडा नहीं धंसा – ये समुद्र तल से 500 मीटर ऊपर है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये परत आखिरी ज्वालामुखी विस्फोट के समय बनी. मेंटल की गर्म चट्टान क्रस्ट में घुस गई और वहां जम गई. ये 'अंडरप्लेटिंग' कहलाती है. ये परत कम घनी होने से द्वीप को तैरने जैसा रखती है.
स्टडी Geophysical Research Letters जर्नल में छपी है. फ्रेज़र कहते हैं कि ये पृथ्वी पर अनोखी है. अब हम दूसरे द्वीपों की जांच करेंगे कि कहीं ऐसी परत वहां भी है या नहीं.

बरमूडा ट्रायंगल (फ्लोरिडा, बरमूडा और प्यूर्टो रिको के बीच का इलाका) को 'डेविल्स ट्रायंगल' भी कहते हैं. यहां रहस्यमयी तरीके से जहाज और विमान गायब होने की कहानियां मशहूर हैं. अब तक 50 से ज्यादा जहाज गायब हुए हैं और 20 से ज्यादा विमान लापता हुए.
सबसे मशहूर: 1945 में फ्लाइट 19 – 5 अमेरिकी नेवी बॉम्बर विमान 14 लोगों समेत गायब. एक सर्च प्लेन भी लापता हो गया. लेकिन वैज्ञानिक कहते हैं – ये इलाका बहुत व्यस्त है. जहाज-विमान बहुत गुजरते हैं. गायब होने की दर दुनिया के दूसरे हिस्सों जितनी ही है.
कारण: खराब मौसम, तेज धाराएं (गल्फ स्ट्रीम), चुंबकीय कंपास में गड़बड़ी, मानवीय गलतियां. कोई अलौकिक रहस्य नहीं. अब असली रहस्य ऊपर नहीं, बरमूडा के नीचे छिपा है – वो अनोखी चट्टान की परत. ये खोज पृथ्वी की भूविज्ञान को नई समझ देगी.