
एक छोटा सा पक्षी जब पैसेंजर प्लेन से टकराता है तो भारी भरकम एयरबस 320 को कैसे तोड़ देता है? आसमान में एक सामान्य पैसेंजर प्लेन 200 से 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है. ये एक सहज सवाल है कि इतनी तेज गति से उड़ रहा विमान 500 ग्राम, 1 किलो या फिर 2 किलो वजन वाले पक्षी से टकराकर क्षतिग्रस्त कैसे हो जाता है?
इस नुकसान पर विचार करने से पहले जान लें कि एक खाली एयरबस 320 विमान का वजन 40 से 44 हजार किलो होता है. उड़ते वक्त इस विमान का अधिकतम वजन 77000 किलो हो सकता है.
आसमान में उड़ते विमान से पक्षी के टकराने की घटना को बर्ड हिट कहते हैं. इससे विमान को काफी नुकसान हो सकता है. दरअसल यह नुकसान पक्षी के आकार से नहीं, बल्कि उसकी गति और विमान की उच्च गति के संयोजन से होता है. इसके पीछे का कारण है टकराव की गतिज ऊर्जा और आघात का बल.
सोमवार को रांची में ऐसा ही एक हादसा होते होते बचा. यहां पटना से कोलकाता जा रहे इंडिगो के एक विमान में एक गिद्ध की टक्कर हो गई. इस समय ये विमान रांची एयरपोर्ट से लगभग 22 किलोमीटर दूर था. सतह से इसकी ऊंचाई 3000 से 4000 फीट थी.
टक्कर के बाद विमान की आपात लैंडिंग करानी पड़ी. सामने आई तस्वीरों दिखता है कि विमान का आगे वाला हिस्सा टूट गया है. अच्छी बात यह रही है कि विमान की आपात लैंडिंग सफल रही और किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ.
कैसे होता है नुकसान?
अब वही सवाल कि इतने छोटे से पक्षी से टक्कर का नुकसान इतना भयावह और विध्वंसक क्यों होता है? ये सारा विज्ञान का खेल है.
जब 200 से 900 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ रहे विमान से एक पक्षी टकराता है तो जबर्दस्त गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy = ½ mv²) पैदा होती है. यहां M का अर्थ mass यानी कि भार और V का अर्थ velocity यानी कि सापेक्षिक गति होती है.
विमान सामान्यत 200-900 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ते हैं. तो पक्षी का वजन भले ही केवल एक किलो हो, टकराव की गतिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है.

उदाहरण के लिए, 300 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ रहे विमान से टकराने वाला 1 किलो का पक्षी लगभग 3400 न्यूटन का बल उत्पन्न कर सकता है, जो एक भारी हथौड़े के प्रहार के बराबर हो सकता है. बता दें कि न्यूटन बल की ईकाई है.
एक और उदाहरण से समझते हैं. 500 किमी/घंटा की रफ़्तार से उड़ रहे विमान से टकराने वाला 4 किलो का पक्षी काफी ऊर्जा पैदा कर सकता है.
इस गति पर एक छोटा पक्षी भी विमान पर हजारों पाउंड के बराबर बल उत्पन्न कर सकता है.
चूंकि पक्षी विमान के एक बहुत छोटे से हिस्से से टकराता है इसलिए ऊर्जा का असर विमान के छोटे से हिस्से पर ही पड़ता है. इस ताकत की वजह से विमान का खास हिस्सा डैमेज हो जाता है.
इसे ऐसे ही समझा जा सकता है कि अगर 25 या 50 ग्राम का एक पत्थर का टुकड़ा अत्यधिक वेग से शरीर के किसी भी हिस्से से टकराए तो क्या हो सकता है. हालांकि पत्थर का टुकड़ा 25 या 50 ग्राम का ही है लेकिन लेकिन गति बेहद ज्यादा होने से इसकी मारक क्षमता बढ़ जाती है.
एक और रिसर्च के अनुसार 1.8 किलो का एक पक्षी जब विमान से टकराता है तो इसका फोर्स एक बुलेट की तुलना में करीब 130 गुना ज्यादा होता है. ABC साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक 5 किलो के एक पक्षी का 275 किमी/घंटा के रफ्तार से किसी विमान से टकराना वैसा ही है जैसे 100 किलो भार के किसी बैग के 15 मीटर ऊपर से जमीन पर गिरना.
इसलिए बर्ड हिट की ये टक्कर खतरनाक, आपदा को निमंत्रण देने वाली और जानलेवा साबित हो सकती है.
बर्ड हिट से विमान को नुकसान कैसे होता है?
बर्ड हिट से सबसे ज्यादा खतरा विमान के इंजन को होता है. आधुनिक जेट इंजन उच्च क्षमता वाले परंतु नाजुक होते हैं. इंजन में घुसा पक्षी पंखे के ब्लेड, कंप्रेसर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे इंजन में खराबी आ सकती है या आग लग सकती है. उदाहरण के लिए, टर्बोफैन इंजन में पक्षी के टकराने से ब्लेड मुड़ सकते हैं या टूट सकते हैं, जिससे हवा में विमान खतरनाक असंतुलन का शिकार हो सकता है.

विंडशील्ड/कॉकपिट: विमान के विंडशील्ड को दबाव और टकराव को झेलने के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन तेज गति से टकराने वाले बड़े पक्षी या पक्षियों के झुंड के कारण ये टूट सकते हैं या चकनाचूर हो सकते हैं, जिससे पायलट घायल हो सकते हैं या उन्हें देखने में परेशानी हो सकती है.
सेंसर: पक्षी संवेदनशील उपकरणों जैसे कि पिटोट ट्यूब को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो हवा की गति को मापते हैं, जिससे गलत रीडिंग और नेविगेशन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
जब विमान ऊंचाई पर होते हैं और क्रूजिंग स्पीड पर होते हैं तो बर्ड हिट की घटनाएं कम होती है, लेकिन अगर इस स्पीड पर टक्कर हो गई तो ये काफी खतरनाक हो सकता है. क्योंकि इस दौरान विमान 800-900 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ रहे होते हैं. इसलिए इसका असर भी ज्यादा होता है.