एकादशी को सभी व्रतों में सबसे प्रमुख माना गया है. आज वरुथिनी एकादशी मनाई जा रही है. इस एकादशी व्रत को सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.
वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त- एकादशी तिथि की शुरुआत 06 मई को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से हो चुकी है जो 7 मई को शाम 03 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. एकादशी व्रत पारण मुहूर्त शनिवार, 08 मई को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.
वरुथिनी एकादशी की पूजा विधि- इस दिन उपवास रखना बहुत उत्तम होता है. अगर उपवास न रख पाएं तो कम से कम अन्न न खाएं. भगवान विष्णु के मधुसूदन स्वरुप की उपासना करें. उन्हें फल और पंचामृत अर्पित करें. उनके समक्ष 'मधुराष्टक' का पाठ करना सर्वोत्तम होगा. अगले दिन प्रातः अन्न का दान करके व्रत का पारण करें.
वरुथिनी एकादशी का महत्व- वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है फिर भी हर एकादशी की अपने आप में कुछ अलग महिमा भी है. वरुथिनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति को समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान के मधुसूदन स्वरूप की उपासना की जाती है. रात्रि में जागरण करके उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में मंगल ही मंगल होता है. इस दिन श्री वल्लभाचार्य का जन्म भी हुआ था. पुष्टिमार्गीय वैष्णवों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है.