Mahavir Jayanti 2025: आज महावीर जयंती है. जैन धर्म में इस पर्व का खास महत्व है और यह त्योहार जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थांकर भगवान महावीर को समर्पित है. उनके पिता का नाम राजा सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिशला था. भगवान महावीर से जुड़ी कई कहानियां आपने सुनी होंगी. लेकिन क्या आप उनके जन्म से पूर्व माता त्रिशला को दिखे 16 दिव्य स्वप्न का किस्सा जानते हैं. आइए आज आपको यह कहानी विस्तार से बताते हैं.
16 अद्भुत स्वप्न का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान महावीर के जन्म से पहले रानी त्रिशला जब गर्भवती थीं, तब उन्हें 16 अद्भुत स्वप्न (सपने) आए थे. इन सपनों के मायने बहुत खास थे. चूंकि राजा सिद्धार्थ एक विद्वान ज्योतिषविद भी थे, इसलिए रानी त्रिशला ने उनसे इन सपनों का अर्थ पूछा.
1. पहला स्वप्न- विशालकाय श्वेत हाथी
अर्थ- उनके घर अद्भुत पुत्र-रत्न का जन्म होने वाला है.
2. दूसरा स्वप्न- श्वेत वृषभ
अर्थ- जो बालक पैदा होगा, वो जगत का कल्याण करेगा.
3. तीसरा स्वप्न- श्वेत वर्ण और लाल आखों वाला सिंह.
अर्थ- बालक शेर के समान ताकतवार होगा
4. चौथा स्वप्न- दो हाथी कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए.
अर्थ- देवलोक के देवगण स्वयं आकर बालक का अभिषेक करेंगे.
5. पांचवां स्वप्न- दो सुगंधित पुष्प मालाएं
अर्थ- बालक धर्म-तीर्थ स्थापित करेगा और लोगों द्वारा पूजा जाएगा
6. छठा स्वप्न- पूर्ण चंद्रमा
अर्थ- बालक के जन्म से तीनों लोकों में खुशी की लहर होगी.
7. सातवां स्वप्न- उदय होता सूर्य
अर्थ- बालक में सूर्य की तरह तेज होगा, जो सबका उद्धार करेगा.
8. आठवां स्वप्न- कमल पत्रों से ढंके हुए दो कलश
अर्थ- बालक सभी निधियों को जानने वाला और निधियों का स्वामी होगा.
9. नौवां स्वप्न- कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां
अर्थ- बालक आनंद का दाता और दुर्खहर्ता होगा
10. दसवां स्वप्न- कमलों से भरा जलाशय
अर्थ- बालक हजारों शुभ लक्षणों से युक्त होगा.
11. ग्यारहवां स्वप्न- लहरें उछालता समुद्र
अर्थ- भूत, भविष्य और वर्तमान को जानने वाला होगा.
12. बारहवां स्वप्न- हीरे-मोती और रत्न जड़ा स्वर्ण सिंहासन
अर्थ- बालक राज्य का राजा बनेगा और प्रजा की भलाई के बारे सोचेगा.
13. तेरहवां स्वप्न- स्वर्ग का विमान
अर्थ- बालक इस जन्म के बाद स्वर्ग का देवता बनेगा
14. चौदहवां स्वप्न- धरती चीरकर निकलता नागों के राजा नागेन्द्र का विमान
अर्थ- बालक जन्म से त्रिकालदर्शी होगा
15. पन्द्रहवां स्वप्न- रत्नों का ढेर
अर्थ- बालक सभी गुणों से संपन्न होगा.
16. सोलहवां स्वप्न- धुआंरहित अग्नि
अर्थ- बालक सांसारिक कर्मों का अंत करके मोक्ष को प्राप्त करेगा.