
Maha Shivratri 2025: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर साल महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस सृष्टि के संहारकर्ता देवों के देव महादेव हैं जिनको कई नामों से जाना जाता है जैसे भोलेनाथ, शिवशंभू, भगवान शिव आदि. लेकिन, अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई थी या भगवान शिव कैसे प्रकट हुए थे, जिनको लेकर कई कथाएं भी प्रचलित हैं. भगवान शिव की उत्पत्ति की प्रामाणिक कथा विष्णु पुराण, शिवपुराण में दर्ज है.
विष्णु पुराण में मिलता है भगवान शिव की उत्पत्ति का जिक्र
विष्णु पुराण की कथा के अनुसार, भगवान शिव बच्चे के रूप में पैदा हुए थे. दरअसल, ब्रह्मा जी को एक बच्चे की जरूरत थी. उन्होंने इसके लिए तपस्या की. तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका कोई नाम नहीं है इसलिए वह रो रहा है. तब ब्रह्मा जी ने शिवजी का नाम ‘रुद्र’ रखा जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’. शिवजी तब भी चुप नहीं हुए. इसलिए, ब्रह्मा जी ने उन्हें दूसरा नाम दिया पर शिव जी को वह नाम भी पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए. इस तरह शिवजी को चुप कराने के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें 8 नाम दिए और इस तरह शिव 8 नामों (रुद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए.
क्या शिव जी ने ब्रह्मा पुत्र के रूप में लिया था जन्म
इस बात का जिक्र सत्यार्थ नायक की किताब 'महागाथा' में भी मिलता है. तो कथा के अनुसार, जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था. तब केवल विष्णु जी ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे. तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए. ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया. तब शिव जी के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा जी को शिव जी की याद दिलाई.

ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव जी से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव जी ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया. इसके बाद जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया. अत: ब्रह्मा जी ने तपस्या की और बालक शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए.
शिवपुराण में भगवान शिव के प्रकट होने की मिलती है कथा
शिवपुराण के एकादश खंड में भी भगवान शिव के प्रकट होने का जिक्र मिलता है. जिसके मुताबिक, 'ब्रह्माजी जब अण्ड से प्रकट होकर कल्प में यह देखते हैं कि मेरी रची हुई सृष्टि बढ़ नहीं रही है तब वह बहुत दुःखी हो जाते हैं. तब इनका दुःख समाप्त करने के लिए हर कल्प में महेश्वर की इच्छा से रुद्र भगवान पुत्र रूप में ब्रह्माजी से प्रकट होते हैं. रुद्र, भगवान शिव थे या महादेव. जब ब्रह्माजी भगवान रुद्र से सृष्टि रचने की प्रार्थना करते हैं तो शिवजी अपने जैसे ही स्वरूप वाले जटाधारी ग्यारह रुद्र उत्पन्न करते हैं. तत्पश्चात ब्रह्माजी को पुनः सृष्टि रचने का आदेश देकर शिवजी अन्तर्ध्यान हो जाते हैं.
शिव-शिवा की उत्पत्ति
जब ब्रह्माजी ने अनेकों प्रकार से सृष्टि उत्पन्न की, तब भी अनेकों प्रयत्न करने पर भी सृष्टि में वृद्धि होती दिखायी नहीं दी, तब उन्होंने मैथुन द्वारा सृष्टि की रचना करने का विचार किया. यह विचार उत्पन्न होने पर ब्रह्माजी ने कठोर तपस्या करनी शुरू कर दी. वे शक्ति के साथ भगवान शिव को ध्यान में धारण कर कठोर तपस्या करने लगे. उनके तप से खुश होकर शिवजी प्रकट हुए. उस समय शिवजी का आधा शरीर स्त्री का और आधा शरीर पुरुष का था.

ब्रह्माजी ने उठकर उन अर्ध-नारीश्वर भगवान शिव की शक्ति सहित स्तुति की. हे सर्वगुण सम्पन्न भगवान महेश्वर तथा जगत जननी शक्ति स्वरूपा ! आपकी जय हो. आप तरह-तरह से संसार की रचना करने में समर्थ हो. आपकी जय हो. आप सृष्टि रचना का मुझे आशीर्वाद प्रदान करो.