कांग्रेस छोड़ चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने में कुछ देरी हुई है. पहले पार्टी की ओर से दोपहर 12.30 बजे का समय दिया गया था. ऐसे में सवाल उठता है कि सिंधिया की बीजेपी में एंट्री को लेकर देरी क्यों की गई. कहीं इस देरी का कनेक्शन राहु काल से तो नहीं है?
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ज्योतिर्विदों के नजरिए से देखें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल होने का 2 बजे तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं था.
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दरअसल, आज राहुकाल की अवधि दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से दोपहर 02 बजकर 01 मिनट (डेढ़ घंटा) तक
रहेगी. अगर सिंधिया राहुकाल की अवधि में ही भाजपा में जाने का आधिकारिक
ऐलान करते तो ये अशुभ होता.
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अब ज्योतिरादित्य दोपहर 2 बजे के बाद नई दिल्ली में भाजपा में शामिल होने का ऐलान करेंगे. ज्योतिर्विदों के अनुसार, इस समय तक राहु काल की अशुभ पहर भी समाप्त हो जाएगी.
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ध्यान देने वाली बात ये है कि आज राहु काल की अवधि
करीब डेढ़ घंटे की थी और ज्योतिरादित्य के बीजेपी में एंट्री को भी डेढ़
घंटे के लिए टाल दिया गया है.
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ज्योतिरादित्य
सिंधिया ने अगर यही घोषणा शुभ पहर में की होती तो शायद ज्यादा बेहतर होता.
आज शुभ पहर की अवधि शाम 07.30 से रात्रि 09.00 तक है.
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बता दें कि राहुकाल में शुभ कार्य करने की मनाही होती है. राहु काल में किए गए शुभ कार्यों में असफल होने की बड़ी संभावना रहती है. हालांकि 2 बजकर 01 मिनट बाद किए गए कार्यों पर राहु काल का संकट नहीं होगा.
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ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को मुंबई में हुआ था. मध्य प्रदेश के गुना से कांग्रेस के सांसद रह चुके सिंधिया को सबसे सफल नेताओं में गिना जाता है. सिंधिया की कामयाबी के पीछे ज्योतिर्विद उनके ग्रह नक्षत्रों के सही स्थान पर होने को बड़ी वजह मानते हैं.
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सिंधिया की कुण्डली के 10वें भाव में मंगल तुला राशि में स्थित है. इस भाव में मंगल की स्थिति होने पर कुल दीपक योग बनता है.
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इसके अलावा कुण्डली में शनि चौथे घर में बैठा हुआ है जो अमात्य योग का निर्माण कर रहा है. शनि और मंगल के सही जगह होने की वह से ही इन्हें जनता से सम्मान और लोकप्रियता मिलती है.
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कुण्डली में राजयोग- ज्योतिरादित्य सिंधिया की कुण्डली में कई राजयोग हैं. इनकी कुण्डली के 12वें भाव में सूर्य और बुध की युति है जो बुधादित्य योग और विपरीत राजयोग का निर्माण कर रहे हैं.
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ग्रहों की दृष्टि- ज्योतिरादित्य सिंधिया की कुण्डली में मंगल चतुर्थ भाव को देख रहा है और शुक्र जो पंचम भाव का स्वामी है वह पंचम भाव को देख रहा है. छठे भाव का स्वामी भी शुक्र है जो इस भाव पर अपनी दृष्टि डाल रहा है.
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लग्न के स्वामी शनि और पराक्रम के स्वामी बृहस्पति भी अपने भाव पर शुभ दृष्टि डाल रहे हैं. इस श्रेष्ठ स्थिति के कारण ज्योतिरादित्य को राजनीति में कामयाबी का सफर तय करना आसन होगा.