भक्त और भगवान के बीच में आस्था की डोर भावना से ही बनी होती है और इसी भावना की वजह से ही भक्त अपने भगवान से जुड़ पाता है. जिस प्रकार से भक्तों को भूख प्यास और सर्दी गर्मी का एहसास होता है, उसी प्रकार से उसके भगवान को भी. इसी भक्ति को दर्शाने के लिए बढ़ती ठंड के बीच काशी के मंदिरों में भक्तों ने अपने भगवान को शीत लहर से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र पहनाना भी शुरू कर दिया है. लिहाजा कहा जा सकता है कि बढ़ती ठंड का असर भगवान पर भी दिखना शुरू हो गया है.
क्या भगवान को भी सर्दी या गर्मी लग सकती है या भगवान को भी भूख प्यास लगती है? अगर इसका जवाब चाहिए तो आपको इन दिनों काशी के मंदिरों में आना पड़ेगा. यहां भगवान की मूर्तियों और विग्रहों को भी ठंडी और शीत लहर से बचाने के लिए भक्तों ने टोपी, कंबल और ऊनी वस्त्र पहनाना शुरू कर दिया है.
पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और हिमाचल में बढ़ी सर्द हवा का असर अब वाराणसी में भी दिखना शुरू हो गया है. बीते 2 दिनों से तापमान में गिरावट जारी है तो कोहरे के साथ शीत लहर भी बढ़ गई है. ऐसे में इंसान तो इंसान भगवान पर भी ठंडी का असर दिखना शुरू हो गया है. गोलघर इलाके में प्राचीन सिद्धिदात्री का मंदिर हो, मैदागिन इलाके में संकट हरण शनि देव महाराज का मंदिर, उससे कुछ दूरी पर लोहटिया इलाके में राम जानकी का मंदिर या फिर ठीक उसके बगल में प्राचीन बड़ा गणेश का मंदिर, सभी जगह भगवान के विग्रह को ठंड से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र कंबल टोपी से ढक दिया गया है.
इस बारे में अपनी आस्था प्रकट करते हुए बड़ा गणेश मंदिर में दर्शन करने आई एक श्रद्धालु शताक्षी गुप्ता ने बताया कि क्या हम भक्तों की भावना ही है कि जिससे हम भगवान से जुड़ाव महसूस करते हैं. गर्मियों में कूलर एसी और पंखे मंदिरों में लगाए जाते हैं तो वहीं ज्यादा ठंड बढ़ने पर ऊनी वस्त्र, अंगीठी और हीटर के इंतजाम किए जाते हैं.
वाराणसी के बीएलडब्ल्यू इलाके में रहने वाले अनूप कुमार दुबे बताते हैं कि मौसम का असर जिस तरह इंसानों पर होता है, उसी तरह से भगवान पर भी होता है. एक श्रद्धालु राकेश कुमार तिवारी ने बताया कि पिछले 2 दिनों से वाराणसी में ठंड बढ़ गई है और जिस तरह से हम इंसानों को ठंड का एहसास होता है, उसी तरह से भगवान को भी ठंड लगती है.
बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी रामजतन तिवारी ने बताया कि कार्तिक मास की बैकुंठ चतुर्दशी से भगवान को ऊनी वस्त्र धारण करा दिया जाता है, जो बसंत पंचमी तक पहनाया जाता है. काशी के अंदर सभी देवालयों में भगवान को गर्म कपड़ा पहनाया जाता है, क्योंकि ये भाव की पूजा होती है. जैसे हम गर्म कपड़े पहनते हैं, वैसे ही भगवान को भी ठंड से बचाने के लिए उन्हें गर्म कपड़े पहनाते हैं. उन्होंने बताया कि जो जगत के पालनहार हैं, उन्हें भला मौसम से क्या दिक्कत होती होगी, लेकिन भक्त होने के नाते और भाव की पूजा के चलते हम उन्हें गर्म कपड़े पहनाते हैं.
उन्होंने बताया कि वस्त्रों के अलावा ठंड के दिनों ये भी ख्याल रखा जाता है कि भगवान को कोई ठंडी चीज अर्पित ना की जाए. ठंड से बचने के लिए वह खुद जिन चीजों का सेवन करते हैं, ठीक उसी तरह की चीजें भगवान को भी अर्पित करते हैं.