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Vat Purnima Vrat 2022: आज है वट पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Vat Purnima Vrat Date & Shubh Muhurat 2022: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है. वट पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

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(Image credit: getty images)
(Image credit: getty images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं व्रत
  • इस दिन की जाती है वट वृक्ष की पूजा
  • 14 जून को है वट पूर्णिमा व्रत

Vat Purnima Vrat 2022 Date & Shubh Muhurat 2022: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) रखा जाता है. ज्येष्ठ माह की अमावस्या (30 मई 2022) को जो वट सावत्री व्रत रखा गया था, उस दिन उत्तर भारत में यूपी, एमपी, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर व्रत रखते हैं. वहीं, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत में पूर्णिमा के दिन जो व्रत रखा जाता है, उसे वट पूर्णिमा व्रत के नाम से जानते हैं. 

इस बार यह व्रत 14 जून 2022 को रखा जाएगा है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं रखती हैं. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ बरगद के पेड़ की भी पूजा की जाती है.  इस पूजा से पति की उम्र लंबी होती है और घर में सुख-शांति आती है. आइए जानते हैं वट पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और महत्व.

वट पूर्णिमा मुहूर्त 2022 (Vat Purnima 2022 Shubh Muhurat)

वट पूर्णिमा व्रत मंगलवार, जून 14, 2022 को है. व्रत का मुहुर्त 14 जून, 2022 सुबह 9:40 मिनट से 15 जून, 2022 सुबह 5:28 तक रहेगा.

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व (Importance of Vat Purnima Vrat)

वट पूर्णिमा व्रत सौभाग्यवती महिलाओं का मुख्य पर्व है.  इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की कामना करती हैं. इस दिन सत्यवान-सावित्री की यमराज के साथ पूजा की जाती है. माना जाता है कि वट सावित्री की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और माता लक्ष्मी का वास होता है. सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं. 

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वट पूर्णिमा पूजा विधि (Vat Purnima Puja Vidhi)

- महिलाएं इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. 

- स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूरा श्रृंगार करें. 

- इसके बाद बांस की टोकरी में पूजा का सारा सामान रखें. इस दिन पहले घर पर पूजा करें. पूजा करने के बाद सूर्यदेव को लाल फूल और तांबे के लोटे से अर्घ्य दें. 

- इसके बाद आपके घर के पास जो भी बरगद का पेड़ हो, वहां जाएं.

-  वट वृक्ष की जड़ पर जल चढ़ाएं. 

- फिर देवी सावित्री को कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्पित करें. इसके बाद वट वृक्ष को फल और फूल अर्पित करें. 

-  इसके बाद कुछ देर वट वृक्ष पर पंखे से हवा करें.

- रोली से वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करें और वट सावित्री की व्रत कथा सुनें.

 

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