Shami ka paudha upay: शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए लोग शनिवार को शनि देव को तेल अर्पित करते हैं. छाया दान करते हैं. और दान-धर्म के कार्य करते हैं. लेकिन ज्योतिषविदों के अनुसार, एक महाउपाय इन सबसे बढ़कर चमत्कारी है. कहते हैं कि शमी का पौधा शनि देव को अत्यंत प्रिय है. इससे जुड़े उपाय शनि की वक्र दृष्टि, शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या और महादशा से रक्षा करती है. आइए आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
शनि को क्यों प्रिय है शमी?
शमी पौधे के गुण शनि से मिलते-जुलते हैं. यह पौधा कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहता है. शमी पौधे का स्वभाव कठोर और तीखा होता है, लेकिन इस पौधे से संपन्नता और विजय की प्राप्ति होती है. ये सभी गुण शनि देव के अंदर भी पाए जाते हैं. इसलिए ये पौधा शनि का पौधा माना जाता है. कहते हैं कि इस पौधे में स्वयं शनि देव का वास होता है.
शमी से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
धर्म ग्रंथों के मुताबिक लंका विजय से पहले श्रीराम ने भी शमी वृक्ष की पूजा की थी. पांडवों ने भी अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र शस्त्र इसी पौधे में छिपाए थे. युद्ध पर जाने से पहले पांडवों ने शमी वृक्ष की पूजा की थी और विजय का आशीर्वाद लिया था. कहते हैं कि कवि कालिदास ने शमी वृक्ष के नीचे तप करके ही ज्ञान प्राप्त किया था
शमी पूजन के लाभ
शनि शमी का वृक्ष घर के ईशान कोण यानी पूर्वोत्तर में लगाना सबसे उत्तम माना गया हैय. शमी के पौधे के नीचे हर शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसमें नियमित रूप से प्रातःकाल जल डालना चाहिए. किसी भी महत्वपूर्ण काम पर जाने से पहले इसकी पूजा करें. अगर कुंडली में शनि की खराब दशा के कारण दुर्घटना या सेहत की समस्या सता रही है तो शमी की लकड़ी को काले धागे में लपेटकर धारण करें. शनि की शांति के लिए शमी की लकड़ी पर काले तिल से हवन करें.
इसके अलावा, शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पेड़ की सात बार परिक्रमा लगाएं. यह उपाय शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या के प्रभावों को दूर करता है. हर शनिवार सुबह पीपल पर गुड़, दूध मिश्रित जल चढ़ाएं. ऐसा करने से शनिदेव की कृपा हासिल होती है. शनिवार को पीपल के नीचे गायत्री मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं.