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Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Mangla Gauri Vrat 2023: अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सावन में मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. मंगला गौरी का व्रत 11 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है. मंगला गौरी का व्रत माता पार्वती को समर्पित है. दरअसल, महिलाएं यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं.

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मंगला गौरी व्रत 2023
मंगला गौरी व्रत 2023

Mangla Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी का व्रत सावन में बेहद खास माना जाता है. अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं मंगला गौरी का व्रत रखती हैं. मंगला गौरी व्रत सावन के महीने में प्रथम मंगलवार से प्रारंभ होकर माह के सभी मंगलवारों को किया जाने वाला व्रत है. यह एक ऐसा व्रत है जो पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती की कृपा पाने का सबसे सुलभ मौका प्रदान करता है. जिस तरह से प्रत्येक सोमवार का व्रत भोलेनाथ के लिए रखा जाता है, ठीक उसी तरह से सावन के सभी मंगलवार को माता पार्वती के लिए मंगलगौरी का व्रत रखा जाता है. मंगला गौरी का व्रत 11 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है. 

मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त (Mangla Gauri Vrat 2023 Shubh Muhurat)

आज दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. इसके बाद दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 40 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा. साथ ही सुबह 05 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 04 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा. पूजा के लिए ये तीनों ही समय शुभ हैं. 

मंगला गौरी पूजन विधि (Mangla Gauri Vrat Pujan Vidhi)

इस व्रत के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठें. नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए अथवा नए वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए. इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है. मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें. फिर 'मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए.

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मंगला गौरी व्रत महत्व (Mangla Gauri Vrat Significance)

मंगला गौरी के व्रत से जीवन में खुशहाली और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. पूरे सावन मंगला गौरी की उपासना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है. इंसान के सारे कष्ट दूर हो सकते हैं. अविवाहित युवतियों के विवाह में आने वाली बाधा दूर हो जाती है और मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. संतान से जुड़ी परेशानियों के लिए भी ये व्रत फायदेमंद माना जाता है. 

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