हिंदू धर्म में कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.मान्यता है कि हर इंसान अपने कर्मों का फल जन्म–जन्मांतर में भोगता है. जो कर्म इस जन्म में करता है, उसका प्रभाव केवल इसी जन्म तक सीमित नहीं रहता, बल्कि अगले जन्म की दिशा भी तय करता है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि यदि किसी ने अपने पिछले जन्म में दया, दान, सेवा, सत्य और अहिंसा जैसे अच्छे कर्म किए हों, तो उनका शुभ फल अगले जन्म में मिलता है. यह फल अलग–अलग रूपों में सामने आता है. कहा जाता है कि कुछ लोगों के जीवन में बिना मांगे भी शुभ अवसर आ जाते हैं. यह पिछले जन्म के कर्मों का ही नतीजा होता है. इसलिए कुछ बुरा होने पर लोग कहते हैं कि पिछले जन्म में अच्छे कर्म नहीं किए होंगे तभी आज यह हाल है.
अच्छे कर्मों की प्राप्ति होती है
प्रेमानंद महाराज हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि नाम जप से अच्छे कर्मों की प्राप्ति होती है.वे अपने प्रवचनों में अच्छे कर्मों पर भी विशेष रूप से जोर देते हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या जो अच्छे कर्म इस जन्म में किए जा रहे हैं, वे इसी जन्म में फल देंगे. एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से यह सवाल किया कि क्या नाम जप का फल अगले जन्म में मिलेगा.
नाम जप आगे की गलतियों को भी मिटाता है
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बात अगले जन्म की नहीं है. वर्तमान में दुख सहने की क्षमता और पहले से किए गए पापों को समाप्त करने की सामर्थ्य नाम जप से ही मिलती है. नाम जप से हम अच्छे कर्म प्राप्त करते हैं और इसी से भगवान की प्राप्ति होती है. महाराज ने कहा कि प्रारब्ध को मिटाना मुश्किल है, दुख भोगना पड़ता है. जो कर्म हमारे प्रारब्ध नहीं बने, वे कई जन्मों से संचित रहते हैं. नाम जप ऐसे कर्मों को भस्म कर देता है. एकमात्र नाम जप ही ऐसी शक्ति है जो पिछले सारे पापों का नाश करता है. नाम जप आगे की गलतियों को भी मिटाता है. इसी से भगवान की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है.
नाम जप के बिना कल्याण संभव नहीं
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि अगर नाम जप नहीं करोगे तो इस संसार से मिट जाओगे. नाम जप ही हर परेशानी से बचाता है.