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Panch Mahotsav 2024: धनतेरस से भाई दूज तक, पंच महोत्सव में अगले 5 दिन मनाए जाएंगे ये बड़े त्योहार

Panch Mahotsav 2024: इस साल पंच महोत्सव 29 अक्टूबर से लेक 2 नवंबर तक रहने वाला है. 29 अक्टूबर को धनतेरस के बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली मनाई जाएगी. फिर आएगी भव्य और दिव्य दीपावली की, जो 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

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इस साल पंच महोत्सव 29 अक्टूबर से लेक 2 नवंबर तक रहने वाला है.
इस साल पंच महोत्सव 29 अक्टूबर से लेक 2 नवंबर तक रहने वाला है.

Panch Mahotsav 2024: धनतेरस के त्योहार से पंच महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. इस साल पंच महोत्सव 29 अक्टूबर से लेक 2 नवंबर तक रहने वाला है. 29 अक्टूबर को धनतेरस के बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली मनाई जाएगी. फिर आएगी भव्य और दिव्य दीपावली की, जो 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. 2 नवंबर को अन्नकूट या गोवर्धन पूजा की जाएगी. इसके बाद 3 नवंबर को भाई-बहन का त्योहार भाई-दूज का पर्व मनाया जाएगा.

धनतेरस
एक तरह से कहें तो दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से ही होती है. इस दिन प्रदोष काल और स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी. भगवान कुबेर और भगवान धनंवतरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है और पूजा पाठ से प्रसन्न होकर वो स्थायी रूप से रह जाती हैं. इस दिन मां लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख समृद्धि आती है. मान्यता है कि इस दिन खरीदारी भी करना चाहिए. ऐसा करने से घर में संपत्ति 13 गुना बढ़ती है.

नरक चतुर्दशी
इस साल नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को है और यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी जाना जाता है. इसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. दीपावली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है.इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है. इस दिन घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है.

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दीपावली
5 दिन के पंच महोत्सव मुख्य पर्व दिवाली है, जो कि 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन विधि विधान से शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है ताकि उनकी कृपा बनी रहे. और दीप जलाकर पूरे उत्साह से दीपोत्सव का त्योहार मनाया जाता है.

गोवर्धन पूजा
दिवाली के ठीक अगले दिन की जाने वाली पूजा को गोवर्धन पूजा कहते हैं. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है. इस दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन के लोगों को वर्षा के देवता इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए एक उंगली पर पर्वत उठा लिया था.

भाई दूज
पंच महोत्सव का आखिरी त्योहार भाई दूज होता है. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामनाएं मांगती हैं.

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