Vrat For Women 2026: नया साल 2026 शुरू होने वाला है और इस वर्ष भी लोगों को बड़े-व्रत त्योहारों का बेसब्री से इंतजार रहेगा. इनमें कुछ व्रत त्योहार ऐसे भी होंगे, जो महिलाओं के लिए विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं. ये व्रत परिवार की खुशहाली, घर की सुख-शांति, पति की दीर्घायु और संतान की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं. आइए जानते हैं कि नए साल 2026 में महिलाओं के लिए 15 सबसे जरूरी व्रत कौन से रहने वाले हैं.
करवा चौथ
करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं. 2026 में करवा चौथ का व्रत गुरुवार, 29 अक्टूबर को रखा जेगा.
अहोई अष्टमी
संतान की उन्नति और खुशहाली के लिए कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथइ को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत भी महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. नए साल 2026 में अहोई अष्टमी का व्रत रविवार, 1 नवंबर को रखा जाएगा.
हरियाली, हरतालिका और कजरी तीज
अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए तीज के व्रत भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इन तीनों ही व्रतों में भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा होती है. हरियाली तीज सावन शुक्ल तृतीया, कजरी तीज भादो कृष्ण तृतीया और हरतालिका तीज भादो शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है. 2026 में हरियाली तीज 27 जुलाई, कजरी तीज 31 अगस्त और हरतालिका तीज का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत
पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनना उत्तम होता है. साल 2026 में यह शनिवार, व्रत 16 मई को रखा जाएगा.
नवरात्र व्रत
सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए साल में दो बार देवी दुर्गा को समर्पित नवरात्र रखे जाते हैं. एक चैत्र मास (चैत्र नवरात्र) में और दूसरा आश्विन मास (शारदीय नवरात्र) में. इसमें भी देवी के नौ स्वरूपों का पूजन होता है. 2026 में चैत्र नवरात्र 20 मार्च से शुरू होंगे और शारदीय नवरात्र 11 अक्टूबर से शुरू होंगे.
निर्जला, देवउठनी एकादशी और देवशयनी एकादशी
वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती हैं, लेकिन इनमें निर्जला, देवउठनी एकादशी और देवशयनी एकादशी का महत्व सबसे ज्यादा होता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है. 2026 में निर्जला एकादशी 25 जून, देवशयनी एकादशी 25 जुलाई और देवउठनी एकादशी 20 नवंबर को पड़ रही है.
सावन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि होती है. लेकिन इनमें फाल्गुन और सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इसलिए दिन सुहागनें पति की दीर्घायु और कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं. 2026 में फाल्गुन शिवरात्रि 15 फरवरी और सावन शिवरात्रि 11 अगस्त को मनाई जाएगी.
जितिया व्रत
यह व्रत संतान की लंबी उम्र और उसकी उन्नति के लिए रखा जाता है. हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में इस व्रत को लेकर मान्यता ज्यादा हैं. 2026 में जितिया व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा.
जन्माष्टमी
भादो कृष्ण अष्टमी तिथि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को समर्पित है. कहते हैं कि इस दिन कान्हा का जन्म कराने और उनकी विधिवत पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त हो जाता है. महिलाओं में इस व्रत को लेकर बहुत उत्सुकता भी रहती है. 2026 में जन्माष्टमी का व्रत 4 सितंबर को रखा जाएगा.
सौभाग्य सुंदरी व्रत
मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत रखा जाता है. विवाहित स्त्रियां पति की दीर्घायु, सुख-संपन्नता और सौभाग्य की कामना के लिए यह व्रत करती हैं. 2026 में यह व्रत शनिवार, 21 मार्च को रखा जाएगा.