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Shardiya Navratri 2025: सिर्फ एक बार नहीं! साल में 4 बार क्यों मनाया जाता है नवरात्र का पर्व, जानें कारण

Shardiya Navratri 2025: नवरात्र को लेकर आमतौर पर लोगों की यह अवधारणा है कि केवल आश्विन मास में और चैत्र मास में दो नवरात्र मनाए जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल, साल में कई बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है. साल में केवल दो ही नहीं बल्कि चार बार नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है.

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पूरे साल में 4 बार नवरात्र आती है चैत्र नवरात्र, गुप्त नवरात्र, शारदीय नवरात्र, माघ मास की नवरात्र (Photo: Pexels)
पूरे साल में 4 बार नवरात्र आती है चैत्र नवरात्र, गुप्त नवरात्र, शारदीय नवरात्र, माघ मास की नवरात्र (Photo: Pexels)

Shardiya Navratri 2025: नवरात्र का नाम सुनते ही हर किसी के मन में भक्ति और उत्साह एक साथ प्रकट हो जाते हैं. देशभर में जब भी नवरात्र का पर्व मनाया जाता है तो मां दुर्गा के नाम की मनमोहक झांकियां प्रस्तुत की जाती है और बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं. साथ ही, इस दौरान मां दुर्गा के भक्त बड़ी श्रद्धा से उनकी पूजा-उपासना भी करते हैं.

लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि नवरात्र सिर्फ दो बार नहीं बल्कि साल में चार बार आती है. हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र, आषाढ़, आश्विन (शारदीय) और माघ महीने में नवरात्र मनाई जाती है. इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र तो पूरे देशभर में बहुत धूमधाम से मनाई जाती हैं, जबकि आषाढ़ और माघ की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है. तो चलिए अब चारों नवरात्र का अलग अलग महत्व जानते हैं और किस किस महीने में आती हैं. 

- चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri)

सबसे पहली नवरात्र चैत्र महीने में आती है, जिसे चैत्र नवरात्र के नाम से जाना जाता है. इस नवरात्र से हर वर्ष हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है. ये नवरात्र आमतौर पर मार्च-अप्रैल के महीने में पड़ती है. इस नवरात्र में हम मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे साल भर की खुशहाली और सफलता की कामना करते हैं. इसके अलावा, इस नवरात्र का अंत में रामनवमी मनाई जाती है, यानी इसी समय भगवान राम का जन्म हुआ था. यही वजह है कि इस नवरात्र को 'रामनवमी नवरात्र' भी कहा जाता है. इस दौरान लोग व्रत रखते हैं, घर-घर में पूजा-पाठ होता है और इसे नए कार्यों की शुरुआत के लिए बेहद शुभ माना जाता है. 

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- गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri)

इसके बाद आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र आती है. जो खासतौर पर जून-जुलाई के बीच होती है. इस नवरात्र में लोग मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा-उपासना करते हैं. इसका नाम 'गुप्त' इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें साधना और पूजा-पाठ खुलकर नहीं किए जाते, बल्कि गुप्त रूप से साधक अपनी तांत्रिक और आध्यात्मिक साधना करते हैं. मान्यता है कि इस समय मां दुर्गा की साधना बहुत जल्दी फल देती है और तांत्रिक प्रयोगों में भी सफलता मिलती है. 

- शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri)

इसके बाद आती है आश्विन मास की शारदीय नवरात्र. इस नवरात्र को सबसे ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है. यह सितंबर-अक्टूबर के महीने में होती है और इसे भारत का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा ने इसी समय महिषासुर राक्षस का वध किया था. इसलिए इसे शक्ति की विजय का पर्व माना जाता है.

शारदीय नवरात्र पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है जैसे बंगाल और असम में इसे दुर्गा पूजा के रूप में, गुजरात में गरबा और डांडिया के रूप में, उत्तर भारत में रामलीला और दशहरा के रूप में. इस दौरान जगह-जगह पंडाल सजते हैं, देवी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और नौ दिनों तक सांस्कृतिक माहौल बना रहता है. इस नवरात्र में भक्त मां दुर्गा से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं. 

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- माघ मास की गुप्त नवरात्र (Magh Maas Gupt Navratri)

चौथी और आखिरी नवरात्र माघ महीने में आती है, इसे भी गुप्त नवरात्र ही कहा जाता है. ये भी खास साधना का समय होता है और ज्यादा भव्य तरीके से नहीं मनाई जाती है. आषाढ़ की तरह ही इसमें भी साधना और तपस्या का महत्व ज्यादा होता है. बहुत से लोग इस नवरात्र में व्रत रखकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं. 

आखिर नवरात्र साल में चार बार क्यों आती हैं?

दरअसल, हर नवरात्र का समय ऋतु यानी मौसम परिवर्तन से जुड़ा हुआ है. चैत्र और आश्विन यानी वसंत और शरद ऋतु के समय जब मौसम बदलता है, तब प्रकृति में ऊर्जा का संचार होता है. यह समय भक्ति और नए शुरुआत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है. वहीं, माघ और आषाढ़ की गुप्त नवरात्र भक्तों को ध्यान और साधना के जरिए आध्यात्मिक आशीर्वाद पाने का अवसर देती हैं. 

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