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Dhanteras 2022: धनतेरस के दिन क्यों नहीं खरीदने चाहिए स्टील के बर्तन? जानें वजह

Dhanteras 2022: इस साल धनतेरस का त्योहार 22 और 23 अक्टूबर दोनों दिन मनाया जा रहा है. ये दिन खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन लोग ज्यादातर धातु संबंधित चीजें खरीदते हैं. जबकि स्टील के बर्तन खरीदने से बचते हैं. आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है.

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धनतेरस पर न खरीदें स्टील के बर्तन (PC: Getty Images)
धनतेरस पर न खरीदें स्टील के बर्तन (PC: Getty Images)

Dhanteras 2022: धनतेरस कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल ये त्योहार 22 और 23 अक्टूबर दोनों दिन मनाया जा रहा है. ये दिन खरीदारी के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन लोग ज्यादातर धातु संबंधित चीजें खरीदते हैं. जबकि स्टील के बर्तन खरीदने से बचते हैं. आइए जानते हैं कि इसकी वजह क्या है.

धनतेरस के दिन न खरीदें स्टील के बर्तन

धनतेरस के दिन स्टील या लोहे के बर्तन खरीदने से बचना चाहिए. स्टील भी लोहे का ही एक रूप होता है. स्टील व लोहे के अलावा कांच के बर्तन भी धनतेरस के दिन नहीं खरीदने चाहिए. स्टील और लोहे के बर्तन खरीदने से घर में दरिद्रता आती है. घर में दुर्भाग्य का प्रवेश होता है.

पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी औषधि के साथ अमृत कलश लेकर आए थे. चूंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है. इसलिए धनतेरस के दिन पीतल की खरीदारी को ज्यादा फलदायी माना गया है. 

धनतेरस शुभ मुहूर्त

धनतेरस की शुरुआत 22 अक्टूबर, शनिवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट पर होगी और 23 अक्टूबर, रविवार को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी. धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर रात्रि 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.

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धनतेरस पूजन विधि

धनतेरस पर धन्वंतरि देव की पूजा का विधान है. इस दिन 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करनी चाहिए. इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है. धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है. मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है. इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं. इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए. क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्योहार की शुरुआत होती है. धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है.

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