देवशयनी एकादशी से मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. ये प्रतिबन्ध चार महीनों तक रहता है. इसे चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में चला जाता है. ये चार महीने सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक के होते हैं. इन महीनों में चार देवी-देवताओं की विशेष कृपा मिलती है. इस बार चातुर्मास 10 जुलाई से प्रारंभ होकर 04 नवंबर तक रहेगा. आइए जानते हैं चातर्मास में आने वाले महीनों का धार्मिक रूप से क्या महत्व है.
श्रावण मास
चातुर्मास का पहला महीना सावन है और इस महीने में देवाधिदेव महादेव की कृपा रहती है. सावन के महीने में शिव आराधना और उनकी उपासना से हर मनोकामना पूरी हो सकती है. ये भगवान शिव का महीना है और इसमें वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर की जा सकती हैं. इसी महीने में तमाम ग्रह बाधा और ग्रह दोषों को भी दूर किया जा सकता है. सावन का महीने 14 जुलाई से 12 अगस्त तक रहेगा.
भाद्रपद माह
भाद्रपद में श्रीकृष्ण की विशेष कृपा रहती है. ऐसा कहते हैं कि इसी महीने में श्रीकृष्ण का प्राकट्य हुआ था. संतान प्राप्ति के प्रयोग के लिए ये सर्वोत्तम महीना है. इसके अलावा संतान की उन्नति, जीवन में प्रेम, आकर्षण और सुख शांति के लिए भी ये महीना बहुत शुभ है. इस महीने में भगवान कृष्ण की उपासना करनी चाहिए. इस माह में श्रीमदभागवद का पाठ करना अत्यंत शुभ परिणाम देता है. भाद्रपद का महीना 13 अगस्त से 10 सितंबर तक चलेगा.
आश्विन माह
आश्विन का महीना शक्ति प्राप्ति का महीना है. इस महीने देवी की उपासना की जाती है. आश्विन के महीने में ही पितरों की भी पूजा होती है. इसमें मां दुर्गा के नवरात्रि भी आते हैं. जीवन में हर तरह के विजय का वरदान इस माह मिल सकता है. इस माह में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए. इस बार आश्विन का महीना 11 सितम्बर से 09 अक्टूबर तक रहने वाला है.
कार्तिक मास
कार्तिक मास हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र महीना माना जाता है. ये चातुर्मास का अंतिम मास है. इसी माह से देव तत्व मजबूत होता है. इस दौरान धन और धर्म दोनों से सम्बंधित प्रयोग किए जाते हैं. इसी महीने में तुलसी का रोपण और विवाह सर्वोत्तम होता है. इस महीने में दीपदान और दान करने से अक्षय शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस बार कार्तिक का महीना 10 अक्टूबर से 08 नवंबर तक रहेगा.