चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ यानी 'चाणक्य नीति' में धन-दौलत, काम, परिवार, सफलता और विफलता समेत कई विषयों को शामिल किया है. उनकी नीतियां (Chanakya Niti In Hindi) मनुष्य के जीवन के लिए काफी उपयोगी मानी जाती हैं. चाणक्य के बताए रास्तों पर चलने से लोगों के कठिन से कठिन काम भी आसानी से निपट जाते हैं. इसी नीति ग्रंथ में वो मनुष्य के स्वभाव के बारे में बात करते हैं और बताते हैं कि किस प्रकार के लोगों को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है...
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम् ।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः ।।
मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधा भी नहीं होना चाहिए. वन में जाकर देखो, सीधे पेड़ काट दिए जाते हैं और टेढ़े गांठों वाले पेड़ों को कोई हाथ तक नहीं लगाता. वो लंबे समय तक खड़े रहते हैं.
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अत्यंत सरल और सीधे स्वभाव का नहीं होना चाहिए. इससे उसे सब लोग दुर्बल और मूर्ख मानने लगते हैं तथा हर समय कष्ट देने का प्रयत्न करते हैं.
सीधा-सादा व्यक्ति प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुगम होता है जबकि टेढ़े व्यक्ति से बचने की कोशिश करते हैं. ऐसे में सीधे व्यवहार वाले व्यक्ति का लोग फायदा उठाते हैं और उनका दुरुपयोग करते हैं.