आचार्य चाणक्य ने जहां अपनी किताब चाणक्य नीति में व्यक्ति के पास पांच तरह के पिता होने का जिक्र किया है, तो वहीं उन्होंने पांच तरह की माताओं का भी उल्लेख किया है. बता दें कि आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में जीवन के हर एक पहलू के बारे में लिखा है. जीवन को लेकर बताई गई उनकी नीतियां आज भी कारगर मानी जाती हैं. आइए जानते हैं कि चाणक्य के मुताबिक, वो पांच माताएं कौन-कौन होती हैं...
राजपत्नी गुरोः पत्नी मित्र पत्नी तथैव च।
पत्नी माता स्वमाता च पञ्चैता मातरः स्मृता।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के जरिए पांच तरह की माताओं का जिक्र किया है. चाणक्य कहते हैं कि राजा या शासक की पत्नी माता समान होती हैं. चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को राजा की पत्नी को माता के समान मानना चाहिए.
चाणक्य के मुताबिक, गुरु की पत्नी भी मां के समान होती हैं. वो कहते हैं कि गुरु की पत्नी के साथ भी माता समान आचरण करना चाहिए. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुरु पिता समान होते हैं, इसलिए उनकी पत्नी मां समान है. चाणक्य कहते हैं कि गुरु और गुरु की पत्नी दोनों को मां-पिता के समान मानने से ही पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति होती है.
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वहीं, आचार्य चाणक्य ने मित्र की पत्नी को भी मां के समान ही बताया है. चाणक्य कहते हैं कि मित्र की पत्नी को मां के बराबर दर्जा देना चाहिए. इससे सम्मान में बढ़ोतरी होती है.
इसके अलवा चाणक्य कहते हैं कि सास यानी पत्नी की मां को भी अपनी माता समान मानना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि पत्नी की मां का सम्मान जन्म देने वाली अपनी मां से कम नहीं होना चाहिए.
वहीं, आचार्य चाणक्य जन्म देने वाली मां को पांचवी मां कहते हैं. चाणक्य कहते हैं कि वो माता जो आपको जन्म देती है और जीवन में सफलता पूर्वक लक्ष्य को हासिल करने का मार्ग दिखलाती है.
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