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Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य के मुताबिक धरती पर हैं सिर्फ 3 रत्न, करें इनका सम्मान

चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में अनेकों नीतियों का बखान किया है जिसकी मदद से मनुष्य अपने जीवन के कष्टों को आसानी दूर कर सकता है. इन नीतियों में उन्होंने श्लोक के माध्यम से धरती पर मौजूद तीन रत्नों के बारे में भी बताया है. आइए जानते हैं इनके बारे में...

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Chanakya Niti In Hindi
Chanakya Niti In Hindi

चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में अनेकों नीतियों का बखान किया है जिसकी मदद से मनुष्य अपने जीवन के कष्टों को आसानी दूर कर सकता है. इन नीतियों में उन्होंने श्लोक के माध्यम से धरती पर मौजूद तीन रत्नों के बारे में भी बताया है. आइए जानते हैं इनके बारे में...

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि अन्नमाप: सुभोषितम्। 
मूढै: पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञां विधीयते।।

आचार्य चाणक्य पृथ्वी पर मौजूद तीन रत्नों की चर्चा करते हुए करते हैं कि अन्न, जल तथा सुंदर शब्द, पृथ्वी के ये ही तीन रत्न हैं. मूर्खों ने पत्थर के टुकड़ों को रत्न का नाम दिया है. 

इसका आशय यह है कि अनाज, पानी और सबके साथ मधुर बोलना, ये तीन चीजें ही पृथ्वी के सच्चे रत्न हैं. हीरे जवाहरात आदि पत्थर के टुकड़े ही तो हैं. इन्हें रत्न कहना केवल मूर्खता है. 

आत्मापराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम् । 
दारिद्रयरोग दुःखानि बन्धनव्यसनानि च॥

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि दरिद्रता, रोग दुख, बंधन और व्यसन सभी मनुष्य के अपराध रूपी वृक्षों के फल हैं.

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आशय यह है कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें, सब कुछ मनुष्य के कर्मों के ही फल होते हैं. जो जैसा बोता है, उसे वैसा ही फल भी मिलता है, इसलिए सदा अच्छे कर्म करने चाहिए.

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