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Saphala Ekadashi 2021: कब है सफला एकादशी? श्री हरि की उपासना से मिलेंगे 4 महावरदान

सफला एकादशी के व्रत में श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता भी मिलती है. इस वर्ष सफला एकादशी शुक्रवार, 09 जनवरी को आ रही है.

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Saphala Ekadashi 2021: कब है सफला एकादशी? श्री हरि की उपासना से इस दिन मिलेंगे 4 महा वरदान
Saphala Ekadashi 2021: कब है सफला एकादशी? श्री हरि की उपासना से इस दिन मिलेंगे 4 महा वरदान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस व्रत में श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता भी मिलती है
  • गर्म वस्त्र-अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है

सफला एकादशी का व्रत पौष कृष्ण एकादशी को रक्खा जाता है. इस उपवास को रखने से आयु और स्वास्थ्य की रक्षा होती है. साथ ही व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता मिलती है. इस व्रत में श्री हरि की कृपा से व्यक्ति को भौतिक सम्पन्नता भी मिलती है. इस वर्ष सफला एकादशी शुक्रवार, 09 जनवरी को आ रही है.

इस दिन कैसे करें श्री हरि की उपासना?
सुबह या सायं काल श्री हरि का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर श्री हरि का पूजन करें. श्री हरि को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. चाहें तो एक वेला उपवास रखकर एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने के पहले जल में दीपदान करें. आज के दिन गर्म वस्त्र और अन्न का दान करना भी विशेष शुभ होता है.

उत्तम स्वास्थ्य के लिए
श्री हरि को मौसम के फल (ऋतु फल) अर्पित करें. इसके बाद 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें. फल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. अगर कोई रोगी व्यक्ति इस फल को ग्रहण करता है तो वह स्वस्थ होगा.

आर्थिक पक्ष और कारोबार में सफलता के लिए
श्री हरि की पूजा , लक्ष्मी जी के साथ संयुक्त रूप से करें. मां लक्ष्मी को सौंफ और श्री हरि को मिसरी अर्पित करें. इसके बाद "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः" का 108 बार जाप करें. सौंफ और मिसरी को एक साथ रख लें. रोज प्रातः ग्रहण करें.

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संतान प्राप्ति की सफलता के लिए
आज के दिन श्री हरि को पंचामृत चांदी के पात्र में अर्पित करें. इसके बाद 108 बार "ॐ नमो नारायणाय" का जाप करें. पंचामृत को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
 
अपनी सुरक्षा और रक्षा के लिए
रेशम का एक पीला धागा श्री हरि को अर्पित करें. इसके बाद उस धागे को हाथ में लेकर "रां रामाय नमः" का 108 बार जाप करें. जाप के बाद धागे को दाहिने हाथ में बांध लें. महिलाएं इस धागे को बाएं हाथ में बांधें.

 

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