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Ganga Saptami 2023 Date: गंगा सप्तमी कब है? जानें पूजन विधि, उपाय और सावधानियां

Ganga Saptami 2023: इस तिथि पर गंगा स्नान, तप ध्यान और दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ था और महादेव की जटाओं में इनका वास है. इनके दर्शन मात्र से इंसान के सारे पाप कट जाते हैं.

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Ganga Saptami 2023 Date: गंगा सप्तमी कब है? जानें पूजन विधि और चमत्कारी उपाय
Ganga Saptami 2023 Date: गंगा सप्तमी कब है? जानें पूजन विधि और चमत्कारी उपाय

Ganga Saptami 2023 Date: वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. इस तिथि पर गंगा स्नान, तप ध्यान और दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ था और महादेव की जटाओं में इनका वास है. इनके दर्शन मात्र से इंसान के सारे पाप कट जाते हैं. इस साल गंगा सप्तमी का त्योहार गुरुवार, 27 अप्रैल को मनाया जाएगा.

कपिल मुनि के श्राप से राजा सगर के 60 हजार पुत्र भस्म हो गए. तब उनके उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या की. वे अपनी कठिन तपस्त्या से मां गंगा को प्रसन्न करने में सफल रहे. भगीरथ की तपस्या सफल हुई और मां गंगा धरती पर आईं. गंगा के स्पर्श से ही सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हुआ. इसलिए गंगा को 'मोक्षदायिनी' भी कहा जाता है.

यूं तो गंगा में आस्था की डुबकी कभी भी लगा सकते हैं, लेकिन परम पुण्य की प्राप्ति के लिए गंगा सप्तमी पर इसका महत्व बढ़ जाता है. यदि गंगा किनारे जाकर स्नान करना संभव न हो तो आप गंगा जल की कुछ बूंदे साधारण जल में मिलाकर उससे स्नान भी कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.

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गंगा सप्तमी पूजन विधि
इस दिन संभव हो सके तो गंगा नदी में स्नान करें. ॐ श्री गंगे नमः का उच्चारण करते हुए मां गंगा को अर्घ्य दें. गंगा नदी में तिल का दान करें, गंगा घाट पर पूजन करें. पूजा के बाद अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों और जरुरतमंदो को दान दें.

गंगा सप्तमी पर शिव पूजा
गंगा सप्तमी पर शाम को चांदी या स्टील के लोटे में गंगा जल भरें. इसमें बेलपत्र डाल कर घर से शिव मंदिर जाएं. शिवलिंग पर जल डालकर बेलपत्र अर्पित करें. मन ही मन आर्थिक संकट दूर होने की प्रार्थना करें.

गंगा जल के विशेष प्रयोग
हर सोमवार को शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करें. जल अर्पित करते समय या तो महामृत्युंजय मंत्र पढ़ते रहें या "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें. मंत्र जाप के बाद शिव जी से आयु रक्षा और उत्तम सेहत की प्रार्थना करें.

गंगाजल प्रयोग की सावधानियां
गंगाजल को हमेशा पवित्र और धातु के पात्र में ही रखें. गंगाजल को हमेशा ईशान कोण में ही रखना चाहिए. अपवित्र हाथों से गंगाजल नहीं छूना चाहिए. भगवान शंकर की पूजा में गंगाजल जरूर प्रयोग करना चाहिए.

 

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