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भाद्रपद 2025: भाद्रपद मास आज से शुरू, जानें इस महीने का महत्व, पूजन विधि और नियम

यह महीना भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस माह में की गई भक्ति और पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है.

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भगवान श्रीकृष्ण (Photo Credit: AI Generated)
भगवान श्रीकृष्ण (Photo Credit: AI Generated)

हिंदी पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह आज (10 अगस्त 2025) से शुरू हो गया है और 7 सितंबर 2025 को समाप्त होगा. हिंदू कैलेंडर का यह छठा महीना आमतौर पर भादो या भादवा नाम से जाना जाता है. यह महीना भगवान श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस माह में की गई भक्ति और पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है. आइए जानते हैं कि भादो का महत्व क्या है और इस महीने पूजा के नियम क्या हैं.

भाद्रपद का महत्व
भाद्रपद मास पूजा-पाठ, व्रत और भक्ति के लिए विशेष समय माना जाता है. इस महीने में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे महापर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाए जाते हैं. पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और मंत्र-जाप से जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस महीने हरतालिका तीज का व्रत भी रखा जाता है.

भाद्रपद माह में क्या करें?

  • भगवान श्रीकृष्ण, गणेश जी और विष्णु जी की पूजा करें.
  • श्रीकृष्ण को तुलसी दल और माखन का भोग लगाएं. 
  • पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करें.
  • सात्विक और हल्का भोजन ग्रहण करें.
  • योग, प्राणायाम और व्यायाम से स्वास्थ्य का ध्यान रखें.

क्या न करें?

  • मांस, मदिरा और तामसिक आहार का सेवन न करें.
  • दही, गुड़ और अत्यधिक मसालेदार भोजन से परहेज करें.
  • रविवार के दिन बाल कटवाना या नमक का सेवन न करें.
  • कच्ची और पचने में भारी वस्तुओं से बचें.

भाद्रपद मास में पड़ने वाले व्रत-त्योहार
भाद्रपद माह में कई विशेष तीज-त्योहार, व्रत, दिन, शुभ तिथियां आती हैं. इस महीने आने वाले विशेष त्योहारों में हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, जैन पयुर्षण त्योहार और अनंत चतुर्दशी जैसे पर्व शामिल हैं. कहते हैं कि भादो में भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत उपासना करने से जीवन की सारी समस्याओं का हल हो सकता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो जाती है.

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