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राजस्थान के कोटपूतली में बेटी के जन्म पर धूमधाम से जश्न... फूल-वर्षा और गाजे-बाजे के साथ कराया भव्य गृह प्रवेश

राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ के माची गांव में एक परिवार ने बेटी के जन्म को बड़े उत्सव की तरह मनाया. ढोल-नगाड़ों, गाजे-बाजे और फूल-वर्षा के साथ नवजात का गृह प्रवेश कराया गया. घर को फूलों, गुब्बारों और रंगोली से सजाया गया. परिवार ने संदेश दिया कि बेटियां सम्मान और खुशियों की प्रतीक हैं. यह अनूठी पहल पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है.

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घर को फूलों, गुब्बारों और रंगोली से सजाया गया.(Photo: Screengrab)
घर को फूलों, गुब्बारों और रंगोली से सजाया गया.(Photo: Screengrab)

राजस्थान के कोटपूतली बहरोड़ जिले के बानसूर उपखंड स्थित माची गांव में बेटी के जन्म पर ऐसी मिसाल देखने को मिली, जिसने पूरे क्षेत्र का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. जहां देश के कई हिस्सों में आज भी बेटियों के जन्म को उत्सव की तरह नहीं मनाया जाता, वहीं इस गांव के एक परिवार ने समाज की सोच को नई दिशा देने वाली पहल की.

यहां बेटी के जन्म को पूरे धूमधाम से मनाया गया. घर को फूलों, गुब्बारों और रंगोली से सजाया गया, गांव में मिठाई बांटी गई और दावत का आयोजन किया गया. इस भव्य स्वागत की तस्वीरें और वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं.

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गाजे-बाजे के साथ बेटी का गृह प्रवेश

जयपुर स्थित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात मुकेश कुमार मेहरा के घर जब नन्ही बेटी का जन्म हुआ, तो परिवार ने इसे सिर्फ एक पारिवारिक खुशी नहीं बल्कि उत्सव की तरह मनाने का निर्णय लिया. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जैसे ही मुकेश कुमार अपनी पत्नी और नवजात बेटी को लेकर गांव की सीमा पर पहुंचे, पूरा माहौल ढोल-नगाड़ों और स्वागत गीतों से गूंज उठा. परिजनों और ग्रामीणों ने पारंपरिक गाजे-बाजे के साथ जच्चा-बच्चा की अगवानी की. 

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देखें वीडियो...

बेटी को गोद में लेकर ढोल की थाप और मंगल गीतों के बीच घर तक लाया गया. मुख्य द्वार पर परिवार की महिलाओं ने पुष्प वर्षा कर बेटी का गृह प्रवेश कराया. घर को फूलों, गुब्बारों और सुंदर रंगोली से सजाया गया था. हर तरफ खुशियों का माहौल था, जो बताता था कि परिवार अपनी नवजात बेटी को लेकर कितना गर्व और उत्साह महसूस कर रहा है.

बेटी के सम्मान के संदेश ने जीता दिल

इस मौके पर मुकेश कुमार मेहरा ने समाज को एक मजबूत संदेश देते हुए कहा कि बेटा और बेटी में भेदभाव की मानसिकता अब बदलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेटियां घर को खुशियों से भर देती हैं और उनका परिवार अपनी बेटी को वह सब सम्मान और शिक्षा देगा, जो एक बेटे को मिलता है. उन्होंने यह भी बताया कि बेटी का जन्म उनके लिए किसी त्योहार से कम नहीं है.

कोटपूतली

‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की जीवंत मिसाल

गांव के लोगों ने मेहरा परिवार की इस पहल को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की असली सार्थकता बताया. ग्रामीणों का कहना है कि यह पहल समाज में बेटियों के प्रति सम्मान और समानता की भावना को और मजबूत करेगी. माची गांव में बेटी के जन्म पर हुआ यह भव्य उत्सव अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है और अन्य परिवारों के लिए प्रेरणा भी.

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