राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक नाबालिग बच्ची के अपहरण और उसे दुगनी उम्र के व्यक्ति से शादी कराने की साजिश का पर्दाफाश किया है. इस पूरे मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक महिला समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार कर किशोरी को सुरक्षित बरामद कर लिया है.
जिला पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि 19 सितंबर 2025 को एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी 13 वर्षीय बेटी 18 सितंबर की सुबह रोजाना की तरह स्कूल गई थी, लेकिन दोपहर तक घर वापस नहीं लौटी. स्कूल से पता चला कि बच्ची उस दिन स्कूल पहुंची ही नहीं. तलाश के दौरान संदेह ममता गुर्जर नामक महिला पर गया, जो घटना के बाद से ही गायब थी और उसका मोबाइल भी बंद मिला.
मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा और डीएसपी सुरेश कुमार कुड़ी के निर्देशन में विशेष टीम बनाई गई. तकनीकी विश्लेषण से पता चला कि आरोपी महिला ममता अपने प्रेमी माखन के साथ जयपुर में है.
गुजरात भेज दिया था
पुलिस ने दोनों को वहीं से डिटेन किया. पूछताछ में सामने आया कि किशोरी को आरोपी महिला ने अपने रिश्तेदार धनराज और मोहन के साथ गुजरात भेज दिया था, जहां उसकी शादी 25 वर्षीय मोहन से कराने की योजना थी.
जालौर पुलिस के सहयोग से किशोरी को सांचौर से सकुशल बरामद कर लिया गया और धनराज व मोहन को भी हिरासत में ले लिया गया. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर महिला समेत कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर नाबालिग को सुरक्षित बचा लिया.
क्या है सजा?
भारत में नाबालिग का अपहरण एक गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 363 के तहत किसी नाबालिग को माता-पिता या अभिभावक की अनुमति के बिना ले जाने पर 7 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है. अगर अपहरण का उद्देश्य नाबालिग लड़की की शादी कराने या यौन शोषण करने का हो, तो धारा 366 लागू होती है, जिसके तहत 10 साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है.
इसके अलावा, यदि अपहरण के दौरान यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ होती है, तो POCSO Act के तहत 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जा सकती है. संगठित या गंभीर मामलों में अदालत विशेष परिस्थितियों के आधार पर और भी कठोर सजा सुनाती है, जिससे यह अपराध अत्यंत गंभीर माना जाता है.