जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार की रात अफरातफरी का मंजर था. चारों तरफ धुआं, चिल्लाहट और भगदड़ - कोई अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहा था तो कोई किसी अपने को खींचता हुआ बाहर लाने की कोशिश कर रहा था. उसी अफरातफरी में, सवाईमाधोपुर के बौली से आया एक एक्सीडेंट का मरीज दिगंबर वर्मा अपनी आखिरी सांस अस्पताल के बाहर ले रहा था.
दिगंबर एक्सीडेंट केस में घायल थे और उन्हें ट्रॉमा सेंटर लाया गया था लेकिन किसे पता था कि जिस जगह इलाज के लिए आए हैं, वहीं मौत उनका इंतजार कर रही होगी. अंदर आग लगी थी, बाहर भगदड़ मची थी. धुएं और डर के बीच लोग अपने परिजनों को लेकर भाग रहे थे, और दिगंबर वहीं बाहर, इलाज की आस में दम तोड़ गए.
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अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दिगंबर वर्मा की मौत अस्पताल के बाहर हुई, इसलिए उन्हें "अग्निकांड के मृतकों" में शामिल नहीं किया जा सकता. ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुरा धाकड़ बताते हैं कि आग न्यूरो आईसीयू के पास स्टोरेज एरिया में लगी थी. वहां 11 मरीज भर्ती थे. शॉर्ट सर्किट को आग की वजह बताया गया है. आग इतनी तेजी से फैली कि सब कुछ धुएं में समा गया. उपकरण, फाइलें, सैंपल सभी जल गए.
दो घंटे में दमकल ने आग पर पाया काबू
वार्ड बॉय विकास उस वक्त ड्यूटी पर था. उन्होंने बताया, "हम ऑपरेशन थिएटर में थे. जैसे ही खबर मिली, हम दौड़ पड़े. तीन-चार मरीजों को बाहर निकाला. फिर आग इतनी बढ़ गई कि जाना नामुमकिन हो गया." करीब दो घंटे बाद दमकल ने आग पर काबू पाया. फायरकर्मियों ने बिल्डिंग की पिछली खिड़कियां तोड़कर आग बुझाई लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, और सात मरीजों ने दम तोड़ दिया था. बताया जा रहा है कि वे क्रिटिकल थे.
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सीएम भजनलाल शर्मा ने अस्पताल का दौरा किया
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मंत्री जोगाराम पटेल और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेधम रात में ही अस्पताल पहुंचे. मरीजों के परिजन फूट-फूटकर रो रहे थे. किसी ने आरोप लगाया कि आग लगने पर स्टाफ भाग गया, किसी ने कहा कि "हमारे अपने कहां हैं, कोई बताने को तैयार नहीं."
मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों और पीड़ित परिवारों से बात की और जांच का भरोसा दिया. प्रशासन ने तकनीकी टीम गठित कर दी है ताकि पता लगाया जा सके कि आग कैसे लगी.