बच्चों के बस्ते में किताबों की जगह बम. 8-9 साल की उम्र के बच्चों तक को भी बगदादी नहीं बख्श रहा है. जेहाद और जन्नत के नाम पर वो उन्हें बारूद से भरा बस्ता सिर्फ इसलिए थमा रहा है, ताकि ये बच्चे अपनी जान देकर उसे जिंदगी बख्श सकें.