<p>एक नौजवान मुंबई पहुंचता है. फिल्मों में हीरो बनने का ख्वाब लिए. मगर उसे पता नहीं था कि रूपहले पर्दे की चमक के पीछे कितने स्याह उजाले होते हैं. वह भी सपनों को सच करने में लगा रहा.</p><p>मगर तमाम जद्दोजेहद के बाद भी 70 एमएम क्या छोटे पर्दे पर भी आने का मौका नहीं मिला. उलटे स्टूडियो दर स्टूडियो भटकते भटकते सारी कमाई भी खत्म हो गई और बस इसी के बाद उसने एक फिल्मी जुर्म का प्लॉट तैयार किया और पहला कॉल किया सीधे महेश भट्ट को...</p>