1857 का स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर औद्योगिक क्रांति, कानपुर का नाम हर जगह सुनाई देगा. जब देश के किसी शहर ने विकास नहीं देखा था तब कानपुर ने विकास देखा था. लेकिन दिक्कत यह है कि कानपुर शहर वहीं का वहीं ठहर गया. क्या ये बात सच है या फिर इस शहर में आने के बाद सिर्फ एक छवि जो हमारी आंखों में आती है. ये जनता हमें बताएगी. और अगर ये सच है तो जवाब देंगे राजनेता..