करीब सवा दो सौ साल पहले जिस सुल्तान ने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी जान दी, आज उस पर सियासत जिंदा हो रही है. 10 नवंबर को टीपू की जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले से ही फसाद शुरू हुआ है. क्या टीपू की जयंती मनाना अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण है? हल्ला बोल में देखिए ऐसे ही कई सवालों पर चर्चा.