अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिस में इंसान को इंसान बनाया जाए. गोपाल दास नीरज की ये पंक्तियां आज काफी मौजूं हो गई हैं. आज मजहब के नाम पर इंसान हैवान बनता जा रहा है. मजहब के नाम पर इंसान एक दूसरे का गला काटने पर उतारू है. उदयपुर और अमरावती की घटनाएं इसका सबूत हैं. धर्म के नाम पर बर्बर कत्ल ने देश की आत्मा को झकझोर दिया है. गला काट कर कन्हैया लाल का मर्डर और उमेश कोल्हे की अमरावती में बर्बर हत्या ने मजहब के नाम पर टारगेट किलिंग ने धार्मिक कट्टरता का ऐसा आतंक का चक्रव्यूह रचा है कि देश स्त्ब्ध है. सवाल है कि मजहब के नाम पर ऐसी कट्टरता क्यों है? अंजना ओम कश्यप के साथ देखिए एंकर्स चैट.