पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के बीच सीजफायर हो जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और जयराम रमेश ने संसद के दोनो सदनों का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी.
कांग्रेस नेता सीजफायर के फैसले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठा रहे हैं. केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस का सवाल भी यही है, क्या अमेरिका जो कह रहा है वो सही है? ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि क्योंकि भारत की तरफ से अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है - राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ बातें जरूर कही हैं, लेकिन वो डिप्लोमेटिक ज्यादा लगती हैं.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कांग्रेस नेताओं ने पहलगाम अटैक और उसके बाद के हालत पर चर्चा की मांग की थी, और इसी मकसद से संसद का स्पेशल सेशन बुलाये जाने की बात कही गई है.
लेकिन, विपक्षी खेमे के मजबूत स्तंभ शरद पवार का कहना है कि वो संसद में ऐसी चर्चाओं के पक्ष में नहीं है, और ऐसी ही राय ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की तरफ से भी आई है, जिससे कांग्रेस का दावा कमजोर नजर आ रहा है.
क्या संसद में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर बहस होनी चाहिये?
शरद पवार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मसलों पर चर्चा के लिए संसद सही जगह नहीं है. समाजवादी पार्टी और टीएमसी का कहना है कि वे ऐसी चीजों के खिलाफ तो नहीं हैं, लेकिन अभी सही वक्त नहीं लगता.
मुंबई में संवाददाताओं से बात करते हुए शरद पवार का कहना था, मैं विशेष सत्र बुलाये जाने के खिलाफ नहीं हूं... लेकिन ये बड़ा ही संवेदशील और गंभीर मसला है... संसद में इस पर चर्चा करना मुश्किल होगा... राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को गोपनीय रखा जाना चाहिये... स्पेशल सेशन बुलाये जाने के बजाय सर्वदलीय बैठक ठीक रहेगी.
चुनावी दबाव में कांग्रेस का साथ छोड़ रहे क्षेत्रीय दल
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ऐसी मांग जरूर की थी. तेजस्वी यादव ने एक्स पर लिखा है, प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर पहलगाम की आतंकी घटना से लेकर सीजफायर तक तिथिवार और बिंदुवार जानकारी देते हुए देश को भरोसे में लें. आरजेडी के साथ साथ सबसे पहले ऐसी मांग सीपीआई की तरफ से हुई थी.
समाजवादी पार्टी और टीएमसी के सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि दोनो दलों वेट-एंड-वॉच की नीति अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि, पश्चिम बंगाल में 2026 और उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
एक टीएमसी सांसद का अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहना है, सैद्धांतिक तौर पर हमें स्पेशल सेशन से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन हमें अगले साल होने वाले चुनाव की फिक्र है. बीजेपी से हमारा सीधा मुकाबला होगा, और कांग्रेस अलग से लड़ेगी.
समाजवादी पार्टी के एक नेता का कहना है कि पहले जब ऐसी डिमांड हुई थी, तो समर्थन किया गया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने कोई संपर्क नहीं किया.
2020 में हुई एक सर्वदलीय बैठक में सोनिया गांधी ने कई सवाल उठाये थे. ये वही सवाल थे जो राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछ रहे थे. बैठक में भारत-चीन सीमा का मुद्दा उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा था, देश LAC से जुड़े कई मुद्दों पर अंधेरे में है.
सोनिया गांधी के सवाल का प्रतिकार करते हुए तब शरद पवार ने कहा था, सैनिकों के पास हथियार थे या नहीं, ऐसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के आधार पर तय किये जाते हैं, ऐसे संवेदनशील मुद्दों का सम्मान किया जाना चाहिये. पूर्व रक्षा मंत्री होने की वजह से शरद पवार की बात को काफी तवज्जो मिली, और कांग्रेस नेतृत्व को खामोशी अख्तियार करनी पड़ी थी.